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*पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल की प्रेस वार्ता के बाद शासन- प्रशासन और बालको प्रबंधन में हड़काम मचा हुआ है उन्होंने सीधा-सीधा जिला प्रशासन और बालको प्रबंधन को आरोप लगाया है जनहित के मुद्दों को दरकिनार करते हुए कार्य किया जा रहा है जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे जरूरत पड़ने पर बड़े स्तर पर बालको प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करेंगे जिससे क्षेत्र वासियों को बुनियादी सुविधा मिल सके शासकीय जमीन को बालको प्रबंधन द्वारा अवैध बेजा कब्जा किया गया है जगह-जगह अवैध तरीके से रखड़ फेके जा रहे हैं जिससे आम नागरिकों का जीना दूभर हो गया है साथी जल- जमीन और वायु पर्यावरण पूरी तरह से दूषित हो रहे हैं जो मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा है*

पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल की प्रेस वार्ता के बाद शासन प्रशासन और बालको प्रबंधन में हड़काम मचा हुआ है उन्होंने सीधा-सीधा जिला प्रशासन और बालको प्रबंधन को आरोप लगाया है जनहित के मुद्दों को दरकिनार करते हुए कार्य किया जा रहा है जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे जरूरत पड़ने पर बड़े स्तर पर बालको प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करेंगे जिससे क्षेत्र वासियों को बुनियादी सुविधा मिल सके शासकीय जमीन को बालको प्रबंधन द्वारा अवैध बेजा कब्जा किया गया है जगह-जगह अवैध तरीके से रखड़ फेके जा रहे हैं जिससे आम नागरिकों का जीना दूभर हो गया है साथी जल जमीन और वायु पर्यावरण पूरी तरह से दूषित हो रहे हैं जो मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा है

वेदान्त समूह संचालित बालको प्रबंधन द्वारा किए जा रहे जन विरोधी एवं नियम विरूद्ध कार्यशैली पर अंकुश लगाने के लिए कोरबा जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए और नियमानुसार कार्यवाही के लिए अनेक बार पूर्व मंत्री के द्वारा पत्र लिखे गए। आश्चर्य है कि आम नागरिकों के हित में लिखे गए पत्रों पर आज दिनांक तक जिला प्रशासन द्वारा किसी तरह से कोई कदम नही उठाया गया। जनहित के मामलों में जिला प्रशासन द्वारा कोई कदम उठाए जाने के संबंध में बरती जा रही घोर उदासीनता से अनेक संदेह उत्पन्न होते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बालको प्रबंधन को अपनी मनमर्जी चलाने व नियम विरूद्ध कार्य करने के लिए जिला प्रशासन की ओर से अलिखित व अघोषित रूप में मौन स्वीकृति प्राप्त है। बालको प्रबंधन द्वारा नियमों को ताक पर रखते हुए अपनाई गई जन विरोधी कार्यशैली से अंचल के नागरिकों में व्यापक पैमाने पर व्याप्त आक्रोश से अवगत कराते हुए विगत तीन-चार महीनों में जिला प्रशासन को अनेक पत्र लिखे गए। लिखे गए पत्रों में उठाए गए महत्वपूर्ण बिन्दुओं विस्तृत जानकारी

बालको के फ्लाई ऐश डाईक के बगल में बसे हुए ग्राम रूकबहरी में लो लाईन ऐरिया में राखड़ का भराव करने के बाद वहां सघन वृक्षारोपण की योजना को मूर्तरूप देने के लिए बालको प्रबंधन द्वारा वन विभाग की 5 एकड़ भूमि का उपयोग करने की अनुमति प्राप्त की गई थी। वन विभाग से अनुमति मिल जाने के बाद बालको प्रबंधन द्वारा उस क्षेत्र में केवल राखड पाटने का कार्य किया जाने लगा और जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में बालको द्वारा लगभग 30 एकड़ वन भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। इस संबंध में यह भी अवगत कराया गया था कि ऐश डाईक से रिसाव होने वाले पानी को बेलगिरी नाला में जाने से रोकने के लिए कांक्रीट की टंकियां बनवाई गई हैं जिनमें दिन भर तो पानी एकत्र होता है और रात के समय उन टंकियों के पानी को बेलगिरी नाला में ड्रेन कर दिया जाता है। इसकी वजह से नेहरूनगर, परसाभाठा व बेलगिरी बस्तियों के हजारों निवासियो को निस्तारी के लिए राखड़युक्त दूषित पानी का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐश डाईक से उड़ने वाली राख के गुबार से वहां के निवासियों का जीवन दुस्वार हो गया है और अनेक बीमारियों से वे ग्रसित हो रहे हैं जिनमें शुगर, बीपी, आंखों में जलन होना, अस्थमा रोग, बाल झड़ना, चर्मरोग व फेफड़े संबंधी अनेकों प्रकार के बीमारियो से लोग प्रभावित हो रहे हैं

बालको प्रबंधन द्वारा सड़क मार्ग से परिवहन किए जाने वाले फ्लाई ऐश वाहन को नियमानुसार तिरपाल से नहीं ढ़के होने के कारण भारी मात्रा में फ्लाई ऐश सड़क पर गिरता हैं और लगातार भारी वाहनों की आवा जाही से हमेशा धूल का गुबार उठते रहता है और थोड़ी सी भी बारिश होने से कीचड़ में तब्दील हो जाते हैं जिससे सड़क में फिसलन होता है जिसकी वजह से दुपहिया वाहनों से सड़को पर चलने वाले आम लोगों को भारी असुविधा का समाना करना पड़ता है और कई बार वे घटना – दुर्घटना के शिकार भी बनते हैं। इसके साथ ही सड़क के किनारे निवासरत लोगों का सॉस लेना दूभर हो गया है

बालको संयंत्र से निस्तारित फ्लाई ऐश को रात के अंधेरे में खाली पडे सुनसान इलाकों में कहीं भी ट्रैकों के माध्यम से डम्प कर दिया जाता है जिसकी वजह से अंधड़ आदि चलने की स्थिति में समूचा क्षेत्र राखड़ के गुबार से ढ़क जाता है वही आम लोगों के आंखों में और सांस लेने में दिक्कत होती है।

बालकोनगर बजरंग चौक से लेकर परसाभाठा बाजार चौक तक भारी वाहनों का दबाव बहुत ज्यादा रहता है और प्रायः जाम की स्थिति बनी रहती है। उसी मार्ग पर विगत एक-दो वर्षों में कई गंभीर दुर्घटनाएं घट चुकी हैं जिनमें से दो मौते भी हो चुकी हैं। उस समय जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुई बैठक में बालको ने उक्त मार्ग का चौड़ीकरण कराए जाने की बात स्वीकार की थी जिसपर अभी तक कोई काम नहीं किया गया है। ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन व बालको प्रबंधन को उक्त मार्ग पर और दुर्घटनाओं का इंतजार है और जिला प्रशासन की मौन स्कृति नजर आती है

संयंत्र संचालन में बालको प्रबंधन द्वारा स्थानीय कर्मचारियों के साथ व्यापक पैमाने पर भेदभाव की नीति सदैव से अपनाई जाती है। प्रबंधन यह भूल जाता है कि इस संयंत्र की नींव ही स्थानीय लोगों ने रखी और उनके ही खून- पसीने की बदौलत बालको संयंत्र पल्लवित व विकसित हुआ। आज भी जमीनी स्तर पर स्थानीय कर्मचारियों की मेहनत का ही नतीजा है कि वेदान्त समूह भरपूर मुनाफा कमा रहा है। आश्चर्य होता है कि सुविधाओं के नाम पर प्रबंधन बेदान्त समूह के कर्मचारियों और पुराने व स्थानीय कर्मचारियों के बीच बड़े पैमाने पर भेदभाव की नीति पर हमेशा से काम करता है जिनमें पदोन्नति और इन्सेंटिव के मामले प्रमुख हैं।

बालको प्रबंधन संयंत्र विस्तार परियोजना के तहत आयोजित की गई जन सुनवाई के दौरान यह वायदा किया गया था कि स्थानीय युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा। बालको की जन सुनवाई पूरी हुए लगभग तीन साल से ज्यादा समय बीत गया है और विस्तार परियोजना का कार्य तेजी से चल रहा है जिसमें केवल मजदूर वर्ग में ही कुछ लोगों को अवसर मिल सका है जबकि तकनीकी रूप से भी स्थानीय युवा पूरी तरह से सक्षम हैं लेकिन तकनीकी कार्यों के लिए प्रबंधन ने स्थानीय लोगों की उपेक्षा करते हुए बाहरी लोगों को भर्ती के अवसर प्रदान किया है।

बालकोनगर में निर्मित कूलिंग टॉवर से शांतिनगर के प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा के साथ नियमानुसार बसाहट दिए जाने एवं योग्य युवाओं को बालको में रोजगार प्रदान किए जाने के संबंध में पत्राचार किया गया। पत्र में इस बात का विशेष तौर पर उल्लेख किया गया है कि वर्ष 2010 से 2013 के बीच कूलिंग टॉवर निर्माण से प्रभावित परिवारों द्वारा उग्र आन्दोलन किए जाने के बाद प्रबंधन द्वारा अनेक बैठकें आयाजित की गईं। हर बैठक में प्रबंधन की ओर से मौखिक आश्वासन देकर शांतिनगर के निवासियों को केवल गुमराह किया जाता रहा है और प्रबंधन की ओर से केवल उनको आश्वासन ही मिलते रहे हैं। इस संबंध में शांतिनगर के निवासियों ने बताया था कि एस.डी.एम. कोरबा ने भी प्रबंधन के साथ मिलकर शांतिनगर के निवासियों की समस्याओं पर बैठकें कर चुके हैं लेकिन नतीजा केवल आश्वासन तक ही सीमित रह जाता है आज तक कोई नतीजा नहीं निकला।

बालकोनगर स्थित अम्बेडकर स्टेडियम का नव निर्माण कार्य करवाया जा रहा है जिसके लिए संबंधित विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई है। बिना अनुमति लिए बालको प्रबंधन द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों से प्रशासन को लाखों रूपये के राजस्व की हानि हो रही है।

बालकोनगर सेक्टर-6 बी और सी टाईप वाले खाली पड़े हुए क्षेत्र में प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों के लिए बहुमंजिली इमारते बनाने की परियोजना पर कार्य आरंभ हो चुका है। उक्त उक्त क्षेत्र में हजारों की संख्या में फलदार व छायादार विकसित वृक्ष मौजूद हैं।

वृक्षों की कटाई करवाने के स्थान पर अन्यत्र स्थानांतरित करवाने की अनुमति संबंधित विभाग द्वारा दी गई है लेकिन प्रबंधन द्वारा ऐसा नहीं किया जा रहा है। अपनी परियोजना को मूर्तरूप देने के लिए बालको प्रबंधन द्वारा सीधे हरे भरे वृक्षों की कटाई की जा रही है।

बालकोनगर मिनीमाता चौक से इंदिरा मार्केट व भदरापारा को जोड़ने वाली लगभग 50 साल पुरानी सड़क को साजिश के तहत बाऊण्ड्री वॉल बनाकर बन्द करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है। ऐसे किए जाने पर टाऊनशिप में रहनेवाले लोगों का संपर्क भदरापारा व इंदिरा मार्केट तक आने-जाने एवं भरापारा व इंदिरा मार्केट के लोगों का टाऊनशिप में आना जाना बन्द हो जाएगा।

कोरबा विकास योजना 2031 के तहत बालको बस स्टैण्ड से कॉफी प्वाईंट तक जानेवाले मार्ग को 150 फिट चौड़ा बनाया जाना है। प्रबंधन द्वारा सेक्टर 6 क्षेत्र में बाऊण्ड्री वॉल बनाने की योजना से सड़क मार्ग हेतु आवश्यक भूमि पर ही बाऊण्ड्री वॉल बनाए जाने की योजना के तहत प्रथम चरण में कांटेदार तार से घेरकर बन्द किया गया है।

अब उसी स्थान पर बाऊण्ड्री वॉल बनाने के लिए नींव की खुदाई का कार्य आरंभ कर दिया गया है जबकि बालको प्रबंधन को बाऊण्ड्री वॉल बनाए जाने की अनुमति ही नही मिली है। उस स्थान पर बाऊण्ड्री वॉल बनाए जाने से बाद में सड़क का चौड़ीकरण कार्य रूक जाएगा।

किसी भी आपदा की स्थिति में कारखाना नियमावली के तहत हर बड़े संयंत्र में 15 दिनों के लिए संरक्षित जल भंडार रखना आवश्यक होता है।

बालको प्रबंधन के पास 15 दिनों के लिए जल संरक्षित किए जाने की कोई व्यवस्था नहीं है। नियम विरूद्ध कार्यशैली अपनाते हुए मानमाने तरीके से कार्य करने व स्थानीय हितों की उपेक्षा करने की इजाजत बालको प्रबंधन को किसी भी हाल में नहीं दी जा सकती।

यदि अब भी जिला प्रशासन इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाता है तो व्यापक पैमाने पर व्याप्त जन आक्रोश कभी भी विस्फोटक रूप धारण कर सकता है जिसकी सम्पूर्ण जवाबदारी जिला प्रशासन व बालको प्रबंधन की होगी।

पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के साथ कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज चौहान, नत्थूलाल यादव, पूर्व महापौर राजकिशोर प्रसाद, पूर्व सभापति श्याम सुंदर सोनी, संतोष राठौर, श्रीकांत बुधिया, सत्येन्द्र वासन , बीएन सिंह, विकास सिंह पार्षद सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस और महिला कांग्रेस के पदाधिकारी उपस्थित थे।

 

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की बातों को दबाने का प्रयास हमेशा से जिला प्रशासन एवं बालको प्रबंधन करते आई है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा धन्यवाद