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पेयजल संकट को लेकर खदान प्रभावितों ने 3 घंटे तक बंद किया ढेलवाडीह खदान

0 किसान सभा की अगुवाई में आंदोलन
0 एक सप्ताह में समस्याओं के समाधान के आश्वाशन के बाद हुआ समाप्त
कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा की अगुआई में ढेलवाडीह कोयला खदान से प्रभावित गांव ढपढप कसरेंगा में पेयजल संकट एव खदान के कारण गांव में कुंआ बोरहोल और घरों को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति मुआवजा देने की मांग को लेकर सुबह 6 बजे से ढेलवाडीह खदान के मुहाने पर बैठ कर ग्रामीणों ने हड़ताल शुरू कर दिया। इससे अधिकारियों के हाथ पैर फूलने लगे और आंदोलन समाप्त होने तक खदान के अंदर कोई मजदूर नहीं जा सका। इस आंदोलन की चेतावनी किसान सभा ने एक सप्ताह पूर्व में ही एसईसीएल प्रबंधन के साथ जिला प्रशासन को दी थी, लेकिन प्रबंधन और प्रशासन पेयजल समस्या को हल करने के प्रति उदासीन रहा। आक्रोशित ग्रामीणों ने खदान बंद कर दिया।
किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर और प्रशांत झा ने कहा कि जिला पूर्ण रूप से एसईसीएल प्रभावित क्षेत्र है और कोयला उत्पादन के नए कीर्तिमान का जशन एसईसीएल मना रही है। दूसरी ओर एसईसीएल किसानों की जमीन लेने के बाद गांव की मूलभूत सुविधा पानी भी प्रभावित गांव में उपलब्ध नहीं करा रही है। इसके कारण प्रभावित गांव के ग्रामीण पानी के लिए भटक रहे हैं। निस्तारी और मवेशियों के लिए भी जल संकट गहरा गया है। किसान सभा ने आरोप लगाया कि एसईसीएल प्रबंधन को केवल कोयला के उत्पादन से मतलब है आम जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में उसकी कोई रुचि नहीं है।
पूर्व घोषित खदान बंद आंदोलन के तहत ढपढप, कसरेंगा के सैकड़ों ग्रामीण गुरुवार सुबह 6 बजे से ढेलवाडीह खदान के मुहाने पर जा कर बैठ गए और हड़ताल शुरू कर दिया। खदान के अंदर-बाहर किसी को आने जाने नहीं दिया जा रहा था, जिससे खदान पूर्ण रूप से बंद हो गया। खदान में पानी निकासी की समस्या बढ़ने लगी। प्रबंधन ने आंदोलनकारियों से पानी निकासी इमरजेंसी सुविधा के लिए चार कर्मचारियों को अंदर भेजने की अपील की, तब आंदोलनकारियों ने खदान की परिस्थिति को देखते हुए केवल चार कर्मचारियों को खदान के अंदर पानी निकासी के लिए जाने दिया।
ढपढप पंचायत के शंकर देवांगन, नरेंद्र यादव, दुलार सिंह, पूरन सिंह ने प्रबंधन से साफ कहा कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होगा तब तक खदान बंद रहेगा। तब प्रबंधन ने तत्काल टैंकर के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने के साथ अन्य समस्याओं के संबंध में ग्रामीणों से वार्ता की। प्रबंधन ने पेयजल समस्याओं का एक सप्ताह में निराकरण करने के साथ ग्रामीणों के घर कुआं बोर को हुए नुकसान के संबंध में 29 मार्च को ढेलवाडीह में बैठक कर आगे कार्रवाई का लिखित आश्वाशन ग्रामीणों को दिया। 3 घंटे बाद खदान बंद आंदोलन समाप्त हुआ। इसके बाद प्रबंधन ने राहत की सांस ली। किसान सभा और ग्रामीणों ने प्रबंधन को सात दिवस में कार्य होता नहीं दिखने पर 1 अप्रैल को पुन: खदान बंद करने की चेतावनी दी है।
आंदोलन में शामिल होकर भू-विस्थापित रोजगार एकता संघ के दामोदर श्याम, रेशम यादव, अनिल बिंझवार, गणेश बिंझवार, दीनानाथ ने आंदोलन का समर्थन किया। आंदोलन में प्रमुख रूप से शंकर, नरेंद्र यादव, दुलार सिंह, पूरन सिंह, शिव नारायण बिंझवार, देव नारायण यादव, सुनीला बाई, सुभद्रा, सीता, सुमित्रा के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
0 भू-विस्थापितों की मांगे
– ढपढप कसरेंगा में पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल सप्लाई घर घर में किया जाए एवं जहां जमीन के नीचे जल भराव है वहां बोरहोल खनन कर पानी देने की व्यवस्था की जाए।
– ढपढप के सभी तालाबों में खदान से पाइप लाइन के माध्यम से साल भर पानी भरने की व्यवस्था की जाए।
– ढपढप में बिगड़े बोरहोल पंपों का तत्काल सुधार कार्य कराया जाए।
– ढपढप में जिन ग्रामीणों का कुआं सुख गया है, बोर धंस गए है और खदान के खनन के कारण जिनके घरों में दरार पड़ा है उन सभी प्रभावित ग्रामीणों को क्षतिपूर्ति मुआवजा दिया जाए।
– ढपढप में सरहुराम घर से लकेश्वर घर तक सीमेंट कांक्रीट सड़क का निर्माण कराया जाए।
– ढपढप गांव के नीचे किसी प्रकार का खनन कार्य नहीं किया जाए और ब्लास्टिंग पर पूर्ण रोक लगाई जाए।