*गेवरा/दीपका:-*
एसईसीएल की गेवरा मुख्यालय के सामने चलाये जा रहे बेमियादी आंदोलन के तहत अपने पूर्व घोषणा के अनुसार आंदोलन को तेज करते हुए आज एसईसीएल के मुखिया सीएमडी व प्रबंधन का पुतला जलाकर भूविस्थापितों ने अपना आक्रोश व्यक्त किया और आंदोलन स्थल से संदेश भेजा है कि उनकी मांगों को पूरा करने में जितनी देरी लगायी जाएगी आंदोलन उतना ही आक्रोशित होगा उन्होंने कहा है कि इसके अगले चरण में खनन विस्तार क्षेत्र रलिया उमेंदीभाठा के ओबी कार्य को बंद किया जाएगा ।
10 दिन पूर्व आक्रोश रैली और प्रदर्शन के साथ सीएमडी तथा चारो क्षेत्र के महाप्रबंधकों के नाम सौपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि कोरबा जिले में एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के विभिन्न कोयला खदानों के लिए हजारों किसानों की जमीन अर्जित किया गया है, भविष्य में भी और भी विस्तार किया जाएगा । जिसके कारण कई गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है । 60 वर्ष पूर्व से देश के विकास की आहुति की भेंट चढ़े विस्थापित प्रभावित परिवार जिसमे प्रमुख रूप से वनों के रक्षक आदिवासी -मूलनिवासियो का विकास के बजाय विनाश ही हुआ है । प्रबन्धन एवं सरकार की नीतियों के कारण हमारे भूविस्थापितों किसानों में एसईसीएल के प्रति नकारत्मक छवि बन चुकी है । यही कारण है कि दशकों से लगातार आन्दोलनात्मक संघर्षो का द्वंद चल रहा है । जिला प्रशासन के साथ वार्ता व निर्देशों का पालन करने में एसईसीएल प्रबन्धन द्वारा नियमो का हवाला देकर भूविस्थापितों की मांगों को पूरा करने में असमर्थता जाहिर करते आयी है ।
विगत नवम्बर 2021 को एसईसीएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स श्री एस के पाल , श्री चौधरी , और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एवं जिला कलेक्टर श्रीमती रानू साहू जी , विधायक द्वय श्रीमान पुरुषोत्तम कंवर , मोहितराम केरकेट्टा जी की उपस्थिति में सकारत्मक वार्ता के बाद समस्याओ के समाधान एवं मांगो पर हमारी उम्मीद जगी थी । इसी तरह से 17 फरवरी 2022 को हुई समीक्षा बैठक में तीन महीने का समय देते हुए समस्याओ का निराकरण करने का निर्देश कलेक्टर महोदया द्वारा जारी किया गया था । किंतु एसईसीएल एवं तहसील कार्यालयों में भूविस्थापितों की समस्याओ को उलझा कर रख दिया गया है और लोंगो को यहां से वहाँ भटकना पड़ रहा है । इसलिए मजबूरीवश आंदोलन के रास्ते पर जाने के अलावा कोई विकल्प नही है ।ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले चलाये जा रहे इस आंदोलन की प्रमुख मांगो में कहा गया है नवम्बर 2021 एवं फरवरी 2022 तथा उससे पूर्व 2015 से लगातार वार्ताओं में लिए गये निर्णय ,कलेक्टर कोरबा द्वारा जारी निर्देश के अनुसार तत्काल भूविस्थापितों की समस्याओं को निराकृत किया जाए । जमीन के एवज में दी जाने वाली रोजगार के पुराने मामले में अर्जन के बाद जन्म , रैखिक सबंधो , अलग अलग वर्ष में अलग अलग एक्ट के तहत अर्जन , दस्तावेजो में कमी इत्यादि कारणों से रोके गए रोजगार के प्रकरणों में सहानुभतिपूर्वक कार्यवाही करते हुए नामांकित व्यक्तियों को रोजगार प्रदाय की जाये । गेवरा एरिया द्वारा अधिग्रहित एवं वर्तमान में दीपका एरिया को हस्तांतरित आमगांव की बसाहट स्थल के बड़े झाड़ की कटाई कर विकसित करने एवं आश्रित मोहल्लों जोकाहीडबरी , दर्राखांचा ,रोहिदास मोहल्ला की रोके गए जमीन व परिसम्पत्तियों का मुआवजा का भुगतान किया जाए । एवं इसी तरह अन्य सभी क्षेत्रों में इस तरह की समस्याओ का समाधान किया जाए । भुविस्थापित परिवार के कामगारों को प्रताड़ित करना बन्द हो ।
कोयला परिवहन के लिए बिछाए जा रहे रेल लाइन के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों की परिसम्पतियों , श्मशान , कब्रिस्तान ,( मठ ) का मुआवजा एवं अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए उचित कार्यवाही किया जाए । पूर्व में खदानों के कारण विस्थापित हुए परिवारों के पुनर्वास ग्रामो में सभी आवश्यक विस्तार कार्य किये जायें तथा बुनियादी सुविधाएं प्रदान किये जायें तथा वहां निवासरत युवाओं और महिलाओं को वैकल्पिक रोजगार , स्वरोजगार उपलब्ध करायी जाए । गेवरा ,कुसमुंडा एवं दीपका क्षेत्र में भूविस्थापितों के लिए लागू 5 लाख रुपये तक की ठेका कार्य के शर्तो में संशोधन किया जाए और कोरबा क्षेत्र में भी लागू किया जाए तथा 5 लाख तक का टेंडर वर्क केवल भूविस्थापितों के लिए ही रखा जाए ।
पूर्व में कोल इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार एवं फंक्शनल डायरेक्टर्स के निर्णय के अनुसार भूविस्थापित परिवारों के बेरोजगारों के लिए कोल ट्रंसपोर्टेशन सहित सभी तरह की टेंडर में 20 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए । गेवरा क्षेत्र में पदस्थ भू राजस्व अधिकारी श्री अमिताभ तिवारी जी की भुविस्थापितों के साथ की जाने दुर्व्यवहार और भुविस्थापित विरोधी गतिविधियों के कारण एसईसीएल और भुविस्थापित परिवारों के बीच सबन्ध लगातार खराब हुआ है अतः उन्हें उनके कार्यस्थल से हटाया जाए ।
आज के आन्दोलन के दौरान रूद्र दास महंत ललित महिलांगे गजेंद्र सिंह ठाकुर प्रकाश कोर्राम संतोष चौहान पवन कुमार यादव राहुल जायसवाल अनसुईया राठौर ब्रृज कंवर धन कुंवर नरेंद्र राठौर वीर सिंह प्रतिक राज संजू कवर महतरीन बाई संदीप कंवर भागीरथ यादव रविंद्र जगत सुभद्रा फूलेन्द्र सिंह दयाराम सोनी काशीनाथ एवं अनेक भूविस्थापित शामिल थे ।