हसदेव अरण्य के घने साल वृक्ष के जंगल मे बड़े-बड़े वृक्षों को काटना आदिवासियों के साथ अन्याय
हसदेव अरण्य के घने साल वृक्ष के जंगल मे बड़े-बड़े वृक्षों को काटकर कोयला उत्पादन पूरी तरह अनावश्यक देश के कोयला भण्डारों में से 85 % घने जंगलों के बाहर यह 70 साल तक पर्याप्त • 50 साल में बिजली उत्पादन कोयले पर निर्भर नहीं रहेगा राजस्थान को मध्यप्रदेश के कोल ब्लॉक लेने चाहिये बिलासपुर 31.05.2022 – हसदेव अरण्य जंगलों में कोयला खनन के खिलाफ 2012 से एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने आज बिलासपुर के नागरिकों द्वारा जंगल की कटाई के विरोध निकाली गई रैली को सही कदम ठहराया । उन्होंने ब्यौरा देते हुये बताया कि देश में बने जंगलों के बाहर पर्याप्त कोयला उपलब्ध है अतः हसदेव जैसे घने जंगल जो हाथियों का रहवास और बांगों बांध का जल ग्रहण क्षेत्र है उसे उजाड़ना पूरी तरह अनावश्यक है । अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने भारत सरकार के आंकड़ों के आधार पर निम्न जानकारी दी । देश में कोयले का कुल ज्ञात भण्डार 3.20 लाख मिलियन टन इस कोयले में से उत्पादन योग्य कोयला- 2.50 लाख मिलियन टन घने जंगल के नीचे स्थित कोयला भण्डार लगभग 40 हजार मिलियन टन घने जंगल के बाहर उत्पादन योग्य कोयला -2.10 लाख मिलियन टन देश की वर्तमान कोयला मांग- 1000 मिलियन टन वार्षिक देश की 2050 में कोयला मांग 2000 मिलियन टन वार्षिक देश को 2070 तक की कोयला मांग- 1.00 लाख मिलियन टन अर्थात भारत घने जंगलों के नीचे स्थित कोयला भण्डार को खनन किये बगैर अपनी वर्तमान और भविष्य की सभी आवश्यकता पूरा कर सकता है । 2050 के बाद पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते के कारण कोयले की मांग घटती जायेगी । 2070 के बाद कोयले का युग ही समाप्ति की ओर बढ़ेगा । इस स्थिति में हसदेव अरण्य जैसे घने जंगल जो कि कार्बनडाई ऑक्साइड शोषित करते है , उन्हें काटकर कोयला जलाना दोगुना नुकसान देह है । इससे मानव हाथी संघर्ष और खदान की मिट्टी बहने से हसदेव बांगो बांध की क्षमता भी कम होती जायेगी । जहा तक राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के कोयले की आवश्कता का प्रश्न है , उसे मध्यप्रदेश में सोहागपुर कोलफील्ड में स्थित कोल ब्लॉकों में से कोयला लेना चाहिये । ऐसा करने से उसे कोल परिवहन की लागत में 300 से 400 रूपये प्रति टन की बचत होगी । गौरतलब है कि सोहागपुर कोलफील्ड के बहुत सारे कोल ब्लॉक जंगल विहीन है ।
ऊर्जा के कोयले के अलावा अन्य विकल्प मौजूद कोयले पर निर्भरता प्रदूषण पलायन विस्थापन लायेगी जलसुरक्षा पर भी खतरा छत्तीसगढ़ में रेलों का संचालन बाधित होगा देश में 4 लाख मेगावाट के पॉवर प्लॉट स्थापित इसमें से 2.10 लाख ( 55 % ) मँगावॉट कोयले पर आधारित परंतु कुल बिजली में इसकी भागीदारी 80 % तक – सौर और पवन ऊर्जा के 91 हजार मेंगावाट के पॉवर प्लॉट स्थापित जो कुल क्षमता के 23 % परन्तु उसका आधा भी उपयोग नहीं है । बिजली संकट के लिये कोयले पर अपनी निर्भरता हमे कम करनी होगी सौर और पवन ऊर्जा नये कोयला पावर प्लांट के मुकाबले सस्ती बिजली दे रहे है । यदि कोयले पर अत्यधिक निर्भरता बनी रही तो छत्तीसगढ़ में पैसेजर एक्सप्रेस ट्रेन चलना मुश्किल हो जायेगा । हजारो हेक्टेयर वन और कई आदिवासी गांव भी उजड़ जायेगे । इसदेव अरण्य में खनन का सीधा नुकसानं हसदेव बांगो डेम को होगा । इसका जल ग्रहण क्षेत्र समाप्त होने से बांध की क्षमता घटेगी और खुले खदान की मिट्टी बहने से सिलटिंग भी तेजी से होगी । वर्तमान में 2.55 लाख हेक्टेयर खरीफ और 1.27 लाख हेक्टेयर रवि के साथ – साथ 64 हजार हेक्टेयर गर्मी की फसल को पानी देने के लिये बनाया गया डेम पहले से ही बहुत दबाव में है । यही बांध 12 हजार मेगावाट के ताप विद्युत सयंत्र को भी पानी देता है । कोरबा शहर जांजगीर जिला पूरी तरह और रायगढ़ तथा बिलासपुर जिला आंशिक रूप से इस पानी पर आश्रित है । इन सब कारणों से हसदेव अरण्य के खनन को हर हालत में रोका जाना चाहिये
आपको ज्ञात होगा 2000 16 2000 17 में कांग्रेस पार्टी के युवराज वरिष्ठ नेता श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व में मदनपुर कोल ब्लॉक का पुरजोर विरोध करने के लिए वे स्वयं दिल्ली से चलकर कोरबा मदनपुर आए थे उस वक्त छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे तब उन्होंने केंद्र सरकार की नीति को लेकर काफी तीखे प्रहार किए गए थे जब तक हमारी कांग्रेस पार्टी रहेगी जब तक मदनपुर कोल ब्लॉक नहीं खोलने दिया जाएगा चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़ेगा बड़े-बड़े साल के वृक्षों को नहीं काटने दिया जाएगा
श्री राहुल गांधी जी स्वयं ग्रामीणों के बीच जागरण उनसे बात करने लगे और उनकी समस्या को विस्तार से सुने और केंद्र की गलत नीतियों के कारण आदिवासियों को भुगतना पड़ रहा है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जंगल में रहने वाले आदिवासी इन्हीं जंगलों से अपना जीवन यापन करते हैं और अपना परिवार चलाते हैं चार चीरोजी तेंदू महुआ आम भेलवा जैसे विभिन्न खाने पीने का चीज इन्हीं घने जंगल से मिलता है इस साल के घने जंगल से विभिन्न प्रकार के औषधि पाए जाते हैं आज छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस की सरकार है और उनके द्वारा इस क्षेत्र में वृक्ष काटने का और कोयला निकालने का अनुमति दीया गया है जो आदिवासियों के साथ न्याय उचित नहीं है वही मुख्यमंत्री कहते हैं अगर आपको बिजली चाहिए तो जंगल काटना पड़ेगा तभी कोयला निकलेगा तब जाकर आपको बिजली मिल सकेगी यह दोहरा नीति कांग्रेसी सरकार की ठीक नहीं है इस सभी कार्यक्रम का आयोजन करता उस वक्त श्री आलोक शुक्ला के मार्गदर्शन में किया जा रहा था उन्हीं के बुलावे में युवराज श्री राहुल गांधी जी मदनपुर कोल ब्लॉक का विरोध करने के लिए आए थे
उस समय कांग्रेश के बड़े-बड़े नेता स्वर्गीय मोतीलाल वोरा स्वर्गीय अजीत जोगी ,मोहसिन केदवई मेकलाउड, कोरबा के लोकप्रिय विधायक श्री जयसिंह अग्रवाल जी भी उपस्थित थे और भी प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और दिल्ली से आए बड़े-बड़े दिग्गज नेता सभी उपस्थित थे आज की वर्तमान परिस्थिति और है
कांग्रेस हमेशा से अनिल अंबानी और अडानी का विरोध करते रहे हैं और आज अडानी के साथ लगता है पूरा सेटिंग हो गया है अब देखना है कि आने वाले कल में आदिवासी क्षेत्र के लोग इस गंभीर विषय को लेकर क्या कदम उठाते हैं या जंगल कट जाएगी या बच जाएगी अगर सरई पेड़ के जंगल कट जाती है तो कोरबा जिले का अस्तित्व सबसे ज्यादा प्रभावित होगा और पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा क्योंकि कोरबा में एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा खदान गेवरा दीपका कुसमुंडा मानिकपुर सहित बहुत से कोयला खदान पहले से संचालित है कोरबा में बड़े-बड़े पावर हाउस हैं एनटीपीसी बालको सीएसबी लाइन को जैसे दर्जनभर पावर प्लांट संचालित हो रहे हैं राखड धूल डस्ट दुर्गंध युक्त बदबू इस सब को जंगल से आने वाले शुद्ध हवा प्रदूषित वातावरण को ठीक करती है
पूरे देश में सबसे अधिक कोयला उड़ीसा, झारखंड में है वहां सरकार क्यों कोयला निकाल नहीं पाती है क्योंकि वहां की जनता हाथ में डंडा लेकर सरकार के सामने खड़ा हो जाती है और छत्तीसगढ़ के भोले भाले आदिवासी सीधे सरल होते हैं इसका पूरा फायदा सरकार उठा रही है धन्यवाद