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*छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने कोरबा में की सुनवाई, सी.एस.पी.डी.सी.एल. कार्यपालन अभियंता के विरुद्ध आयोग ने विभागीय कार्यवाही हेतु की अनुशंसा*

कोरबा,

*अनावेदक अपने पत्नी को भरण पोषण के लिए प्रति माह 5 हजार देगा*

कोरबा 26 जुलाई 2024/ छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने आज जिला पंचायत सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 261वीं एवं कोरबा जिला की 8 वीं सुनवाई हुई। कोरबा जिले में आयोजित जन सुनवाई में आज कुल 25 प्रकरण की सुनवाई की गई।

आवेदिका उपस्थित एवं अनावेदिक क्रमांक 2 उपस्थित, अनावेदक क्रमांक 1 की अनुपस्थित था। न कोई सूचना है और न ही कारण दिया गया है। आवेदिका ने बताया कि अनावेदक का स्थानान्तरण रायपुर हो गया है। आवेदिका को कहा गया कि अनावेदक क्रमांक 1 का नए स्थानान्तरण पता और मोबाईल नम्बर राज्य महिला आयोग में जमा करें, ताकि आगामी सुनवाई में पुलिस थाने के माध्यम से उपस्थित कराया जा सके। अनावेदिका क्रमांक 2 ने यह जानकारी दिया गया कि आवेदिका की शिकायत पर आतंरिक परिवाद समिति का गठन किया गया था जिसकी वह सदस्य थी जिसके 5 सदस्य और थे। 02 वर्ष में उस समिति ने संपूर्ण जांच में यह पाया कि अनावेदक दोषी है। आवेदिका ने महिला आयोग के पास शिकायत कराया है कि आंतरिक परिवाद समिति की जांच रिर्पोट अप्राप्त है, आवेदिका ने यह भी बताया कि अनावेदक को दोषी पाये जाने पर उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की अनुसंशा की गई है। विभागीय तौर मुख्य अभियंता सी.एस.पी.डी.सी.एल. को भेजा गया है। अनावेदिका क्रमांक 2 के शिकायत से कार्यों की जिम्मेदारी पूर्ण कर दिया गया है। अतः इस प्रकार से अनावेदिका क्रमांक 2 को मुक्त किया गया। आवेदिका आयोग कार्यालय में आकर महाप्रबंक, सी.एस.पी.डी.सी.एल का नाम पता प्रस्तुत करें ताकि उन्हे पत्र भेज कर अनावेदक क्रमांक 1 के विरूद्ध शीघ्र कार्यवाही हेतु सूचना भेजी जा सके। इस प्रकरण में अगली बार रायपुर में सुनवाई की जायेगी।

अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक क्रमांक-1 के विरुद्ध कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत किया था जिस पर आतंरिक परिवाद समिति का गठन हुआ है या नहीं? जांच हुई है नहीं ? आवेदिका को पता नही है। आवेदिका का समझाईश दिया गया कि वह जिला शिक्षा अधिकारी कोरबा को स्पष्ट आवेदन प्रस्तुत करें उसके प्रकरण में आंतरिक समिति के द्वारा की जांच की जानकारी दिया जायें। चूंकि अनावेदक क्रमांक ने अनावेदिका के खिलाफ माननीय न्यायालय में प्रकरण दर्ज किया। जिसमें अनावेदिका भी शामील है इस हेतु न्यायालय के निर्णय आने तक लंबित रखा जाता है इस अवधि में आवेदिका को कहा गया कि आंतरिक परिवाद समिति के अध्यक्ष और सदस्य की जानकारी प्राप्त करें। तब तक प्रकरण लंबित रहेगा।

अन्य प्रकरण दोनो पक्षों के द्वारा न्यायालय में धारा-09 और तालाक का प्रकरण प्रस्तुत किया जाना बताया गया है , उभय पक्ष के बीच के सुलह करने के बाबत प्रकरण रायपुर स्थान्तरण किया जाता है। यदि उभय पक्ष तैयार नहीं होगे तो प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों को रायपुर में निवास कर रहे का पता नोट कराने कहा गया और आपसी सहमति से अपना पारिवारिक जीवन नये सिरे से शुरू करना चाहते है। उभय पक्ष का सुलह नामा बनवाने हेतु रायपुर में प्रकरण रखा गया।

अन्य प्रकरण में उपस्थित आवेदिका के साथ 81 वर्ष उम्र थी उसके उपचार के दौरान मृत्यु हुई जिससे अनावेदक के खिलाफ शिकायत प्रस्तुत किया गया। अनावेदिका ने बताया मृतिका की रिर्पोट के अनुसार गंभीर रूप से बीमार थी और उनका पूर्व से इलाज चल रहा था। और उसके फेफड़ों में पानी भरा था हृदय की गति 30 प्रतिशत थी सभी चिकित्सकीय रिर्पोट दिया है इस प्रकरण में आवेदिका ने विस्तृत दस्तावेज एवं पूर्व का ईलाज के रिर्पोट की प्रति 01 माह के भीतर आयोग के पास जमा करें। आगामी सुनवाई के लिए उपस्थित होने कहा गया।

अन्य प्रकरण में अनावेदक वर्तमान में प्रकरण में छात्रवास में अधीक्षक के पद पर कार्यरत है। वर्तमान में 52 हजार प्राप्त होता है आवेदिका लगभग 03 वर्ष से अलग रह रही है कोई भरण पोषण नहीं दिया गया। आवेदिका अनावेदक के खिलाफ भरण पोषण का प्रकरण प्रस्तुत करें और अनावेदक के प्रकरण को साबित करने के लिए ऑडरशीट का प्रयोग कर सकेगी तथा आवेदिका चाहे तो अन्य के खिलाफ सिविल सेवा एक्ट के तहत् विभागीय कार्यवाही के लिए शिकायत दर्ज करा सकेगी। ऑडरशीट की छायाप्रति निःशुल्क दिया जायेगा।

अन्य प्रकरण में आवेदिका के नजूल जमीन पर मकान में अनावेदक अपना दावा कर रहा था। आयोग के समक्ष उसने स्वीकार की लगभग 22 वर्ष पूर्व रहता था लेकिन वर्तमान में आवेदिका निवासरत है ऐसी दशा में दोनो पक्ष को समझाईश दिया गया कि आवेदिका विवाद नहीं करेगा अतः प्रकरण नस्तीबद्ध किया जाता है।

अन्य प्रकरण में अनावेदक सी.एफ में आरक्षक पद पर कार्य करता है।। वह अपने वेतन से प्रतिमाह 5 हजार अपनी पत्नी आवेदिका को देगा। इस प्रकरण की निगरानी सखी की प्रशासिका पुष्या नवरंग द्वारा किया जायेगा। आवेदिका का बैंक खाता खुलवाने में मदद करें सर्विस बुक में एन्ट्री करवाएँ और आयोग के निर्देश के पालन में आरक्षक प्रमुख को पत्र लिखें ताकि आवेदिका का नाम सर्विस बुक में जोड़ा जा सके। प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

अन्य प्रकरण में दोनो पक्षों के ऊपर थाना उरगा में 107, 116 का प्रकरण न्यायालय में होने पर प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई थी प्रकरण न्यायालय में चलने के कारण प्रकरण को नस्तीबद्ध की जाती है।