*कलयुग में नाम की महिमा अपरंपार, नाम लेने से ही नारायण चले आते हैं- आचार्य मृदुलकांत शास्त्री*
कोरबा धर्म संस्कृति,
कोरबा। आशीर्वाद प्वाइंट, पंडित दीनदयाल सांस्कृतिक भवन टीपीनगर कोरबा में पितृ मोक्षार्थ गया श्राद्ध निमित्त कबुलपुरिया परिवार द्वारा कराया जा रहा श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह महोत्सव के आज तृतीय दिवस भागवत भूषण आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री जी महाराज ने नाम की महिमा का बखान किया और कहा कि यदि हम अनजाने में ही नारायण का नाम लेते हैं तो भगवान भाव के भूखे होते हैं और चले आते हैं। कलयुग में नारायण के नाम की महिमा अपरंपार है। उन्होंने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि अपनी संतानों का नाम भगवान के नाम पर रखें, नाम में भी संस्कार छुपा होता है। उन्होंने कई प्रहसन के माध्यम से नाम की महिमा का बखान किया और कहा कि एक बार किसी घर में चोर घूस गया और बूढ़ी मां चिल्लाने लगी- नारायण-नारायण। बेटा नारायण तो नहीं आया, लेकिन शोरगुल सुनकर पड़ोस के कई लोग आये और चोर भाग गया। नारायण किसी न किसी रूप में अपने भक्तों की मदद अवश्य करते हैं। उन्होंने और कई प्रहसनों के माध्यम से नारायण की महिमा का महत्व समझाया।
श्री अजामिल उपाख्यान और नरसिंह अवतार का वर्णन
आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री ने श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिन श्री अजामिल (ब्रम्ह तत्व से मिलन) और भगवान नरसिंह अवतार का विस्तार से वर्णन किया और कहा कि मनुष्य के जीवन को धन्य बनाने के लिए भक्ति जरूरी है। भागवत पुराण में श्रीअजामिल का वर्णन आता है। आचार्यश्री ने कहा कि भगवान के दिव्य नामों के उच्चारण से ही पापियों के भी पाप करने की प्रवृत्ति से छुटकारा मिल जाता है। उन्होंने भगवान श्री नरसिंह के पूण्य प्रताप का भी बड़े मार्मिक ढंग से प्रहसनों के माध्यम से वर्णन किया और कहा कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ता है, तब-तब भगवान कई रूपों में अवतार लेते हैं। भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए भगवान नारायण ने नरसिंह का अवतार लिया और हिरण्यकश्यपु का वध कर पूरी दुनिया को संदेश दिया कि अत्याचार का नाश अवश्य ही होता है। भगवान अपने भक्तों की रक्षा हर हाल में करते ही हैं।
नरसिंह अवतार की झांकी ने सबका मन मोहा
कथा स्थल पर आज तृतीय दिन भगवान नरसिंह अवतार का वर्णन किया गया, साथ ही भगवान नरसिंह अवतार की भव्य झांकी ने सबका मन मोह लिया। किस तरह हिरण्यकश्यपु का वध करते हुए भक्त प्रहलाद और ध्रुव को गोद में बिठाकर उनकी सुरक्षा की और सभी युग में इन्हें अजर-अमर कर दिया। भगवान का नाम लेने से ही मनुष्य का जीवन भवतारिणी पार कर लेता है और स्वर्ग में स्थान मिलता है।
कल वामनअवतार, श्रीराम चरित्र, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिन 07 सितंबर को आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री महाराज द्वारा वामन अवतार, श्रीराम चरित्र, श्रीकृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव के बारे में संगीतमय प्रवचन देंगे।