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*भू माफिया श्यामू जायसवाल सोमवार 19,20, 2024 को हरदी बाजार उनके निवास स्थान में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का छापा पढ़ने के बाद सीबीआई आगे की क्या कार्रवाई कर रही है यह बात आम जनता जानना चाह रही है की श्यामू जायसवाल के पास कितनी चल अंचल- संपत्ति अवैध एवं काली कमाई की है साथी पुख्ता दस्तावेज क्या जप्त हुए हैं या सीबीआई श्यामू जायसवाल को मंडावली कर बचाने में लगी हुई है क्षेत्र की जनता यह सवाल पूछ रही है महीनों गुजर गए सीबीआई की कार्रवाई को अभी तक कुछ जानकारी नहीं मिल पा रही है इससे क्षेत्र वसियों में संदेह का उत्पन्न होना लाजमी है मामला 17 से 18 करोड़ का है ऐसा विशेष सूत्र बताते हैं राशि केंद्र सरकार के उपक्रम एसईसीएल का है अगर इसी तरह सीबीआई की कार्रवाई लेट लतीफी होते रहेगी तो संका उत्पन्न तो होते रहेंगे यह एक बड़ी मछली में से एक है इसे जितनी शक्ति से सीबीआई पूछताछ कर सकती है उतनी शक्ति से करने की आवश्यकता है तभी अंदर की बातें खुलकर सामने आने लगेगी और उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उनकी पूरी चल-अचल संपत्ति को अटैक, (सीज) इस करना चाहिए जिससे भविष्य में गरीब भू स्थापितों को सही न्याय और अपनी पुश्तैनी जमीन और खेत,मकान का सही मुआवजा राशि मिल सके और खुशहाल जीवन जी सके*

संपादक- रमेश कुमार राठौर .आज का भारत न्यूज़

 

फोटो फइलभू माफिया श्यामू जायसवाल सोमवार 19,20, 2024 को हरदी बाजार उनके निवास स्थान में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई का छापा पढ़ने के बाद सीबीआई आगे की क्या कार्रवाई कर रही है यह बात आम जनता जानना चाह रही है की श्यामू जायसवाल के पास कितनी चल अंचल- संपत्ति अवैध एवं काली कमाई की है साथी पुख्ता दस्तावेज क्या जप्त हुए हैं या सीबीआई श्यामू जायसवाल को मंडावली कर बचाने में लगी हुई है क्षेत्र की जनता यह सवाल पूछ रही है महीनों गुजर गए सीबीआई की कार्रवाई को अभी तक कुछ जानकारी नहीं मिल पा रही है इससे क्षेत्र वासियों में संदेह का उत्पन्न होना लाजमी है मामला 17 से 18 करोड़ का है ऐसा विशेष सूत्र बताते हैं राशि केंद्र सरकार के उपक्रम एसईसीएल का है अगर इसी तरह सीबीआई की कार्रवाई लेट लतीफी होते रहेगी तो संका उत्पन्न तो होते रहेंगे यह एक बड़ी मछली में से एक है इसे जितनी शक्ति से सीबीआई पूछताछ कर सकती है उतनी शक्ति से करने की आवश्यकता है तभी अंदर की बातें खुलकर सामने आने लगेगी और उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उनकी पूरी चल-अचल संपत्ति को अटैक, (सीज) इस करना चाहिए जिससे भविष्य में गरीब भू स्थापितों को सही न्याय और अपनी पूर्वजों की जमीन और खेत,मकान का सही मौजा राशि मिल सके और खुशहाल जीवन जी सके।

कोरबा। श्यामू जायसवाल की संपत्ति एक हिस्सा कोरबा पटेल परा में बड़ा सा बंगाल का भी निर्माण किया गया है हरदी बाजार के अलावा इस संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए आखिर इतने पैसे कहां से आए। विशेष सूत्र यह भी बता रहे हैं कि कई स्थानों में बेसकमती कीमती भूखंडकी खरीदी की गई है इसमें एक बड़ा कोल व्यापारी की भूमिका भी है।

एसईसीएल की दीपका ओपन कोल परियोजना खदान से प्रभावित ग्राम मलगांव और सुआभोड़ी में मुआवजा के नाम पर जमकर घोटाला हुआ है। अभी तो17, 18 करोड़ का मुआवजा घोटाला उजागर हुआ है, जिसकी जांच शुरू हो चुकी है। सीबीआई अगर इनकी तह तक जाकर जांच करे तो इस पूरे मामले में न सिर्फ श्यामू जायसवाल बल्कि उसके इशारे पर काम करने वाले एसईसीएल और राजस्व विभाग के अधिकारी एवं बाबू भी लपेटे में आएंगे। इन सभी ने मिलकर SECL से अधिक मुआवजा पाने के लालच में ऐसा जाल बुनें है जिसमें उलझ कर और सिर्फ़ सिर्फ और सिर्फ कागजों के बूते एसईसीएल प्रबंधन को करोड़ों रुपए की चपत लगाई गई है। यह एक मामला उजागर होने से जहां खलबली मची हुई है तो वहीं दूसरी तरफ इस घोटाले को अंजाम देने के साथ-साथ एक और स्क्रिप्ट लिखकर तैयार रख ली गई है।

इसमें राजस्व विभाग के शासकीय कर्मचारी मनोज गोभिल के परिजन से लेकर श्यामू जायसवाल की रिश्तेदार के नाम पर और एक कोटवार के नाम पर भी जमीन व मकान होना बताकर करोड़ों रुपए का मुआवजा हड़पने की तैयारी है। यहां तक कि इनका मेजरमेंट बुक भी तैयार हो चुका है। सीबीआई की छाप पढ़ने के बाद क्या यह सारे दस्तावेज सबूत के तौर पर जब तक किए जाएंगे।

भाई, बहू, बहन और सास के नाम न जमीन न मकान,फिर भी बनाया मेज़रमेंट यह एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारियों की मिलीभगत का परिणाम है

ग्राम मलगांव में फर्जी मकान नापी कर करोड़ों रूपये की मुआवजा राशि हड़पने की जांच किया जाना जरूरी हो चला है। ग्राम मलगांव तहसील दीपका के मकान एवं परिसम्पत्तियों का लगभग 2 वर्ष पूर्व नापी सर्वे किया गया था जिसमें किन्हीं कारण से कुछ भू-स्वामी मकान मालिकों का नापी और सर्वे नहीं हो पाया था। राज्य शासन एवं एसईसीएल की संयुक्त नई टीम के द्वारा नवम्बर 2023 में इन छूटे हुए भू-स्वामी/ मकान मालिकों के मकान/संपत्ति का सर्वे-नापी किया गया जिसमें कटघोरा की तत्कालीन महिला एसडीएम के द्वारा फर्जी मकान नापी कराया गया तथा भू-अभिलेख कटघोरा राजस्व विभाग में पदस्थ बाबू मनोज कुमार गोभिल के द्वारा अपने रिस्तेदारों के नाम से करोड़ों रूपये का मुआवजा राशि बनाया गया। इसी तरह हल्का पटवारी विकास जायसवाल के द्वारा दीपका कोटवार बरातू राम पिता मुखीराम के नाम से फर्जी मुआवजा पत्रक तैयार किया गया है।

0 इनकी न जमीन न मकान, कागज में सब फर्जीवाड़ा
विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक घोटाले के सेकेंड एपिसोड के लिए जो तैयारी की गई है, उसकी स्क्रिप्ट में
@ बिमला देवी पति गौरी शंकर जायसवाल खसरा नंबर 558/1 शासकीय भूमि
@ नीलम पति रविन्द्र खसरा नंबर 558/1 शासकीय भूमि
@ नीलू पति प्रमोद कुमार,खसरा नंबर 558/1 शासकीय भूमि
@ प्रमोद कुमार पिता खिलावन लाल, खसरा नम्बर 542/3 भू स्वामी सुमित्रा बाई पिता मालिकराम
@ बरातू राम पिता मुखीराम (दीपका कोटवार) खसरा नंबर 558/1 शासकीय भूमि शामिल हैं। मजे की बात यह है कि इन सभी के नाम पर ना तो यहां कोई भी जमीन रही और ना ही वे शासकीय भूमि पर कभी काबिज रहे हैं और ना ही किसी तरह का मकान अथवा कोई संपत्ति का मकान निर्माण उक्त कथित भूमि पर निर्मित रहा है। इन गांव से इनका दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा। सिर्फ और सिर्फ मुआवजा प्रकरण बनाना और मौजा राशि हड़पने के लिए यह सोची समझी रणनीति के अलावा कुछ भी नहीं है।

कागज में पक्का फर्जीवाड़ा किया गया है। उक्त व्यक्तियों के नाम पर बनी मुआवजा राशि की जांच कर दोषियों पर कड़ी आपराधिक कार्यवाही की आवश्यकता है जिससे भविष्य में ऐसी पुनर्विवर्ती ना हो सके।

0 एसडीएम से लेकर जीएम, तहसीलदार भी दायरे में
मुआवजा घोटाला उजागर होने के बाद अब यह सब जिस अधिकारी के कार्यकाल में हुआ है, वह सभी जांच के दायरे में आ गए हैं। तत्कालीन एसडीएम शिव बनर्जी पदस्थ हुए लेकिन इनके बाद कटघोरा की तत्कालीन एसडीएम ऋचा सिंह के खिलाफ अनेक शिकायतें उनके कार्यकाल के दौरान मुआवजा प्रकरण बनाने को लेकर होती रही। लेकिन उच्च अधिकारी नजर अंदाज करते रहे तहसीलदार किशोर शर्मा, पटवारी विकास जायसवाल, बाबू मनोज गोभिल के साथ-साथ SECL जीएम माइनिंग मनोज कुमार सिंह, नोडल अधिकारी भू राजस्व मिथिलेश मधुकर की भूमिका को 17,18 करोड़ के घोटाला और सेकेंड स्क्रिप्ट में नकारा नहीं जा सकता। विशेष सूत्र बताते हैं कि जब उच्च अधिकारियों के निर्देश पर दीपका के प्रगति हाउस में एक माह का कैम्प लगाकर भू विस्थापितों के मुआवजा प्रकरण का निराकरण करने की कार्रवाई प्रारंभ हुई उसी दौरान ही यह सारा खेल रचा गया जिसमें कुल वास्तविक किसानों की संख्या लगभग 300 से बढ़कर 1628 तक पहुंच गई इतनी तो गांव की नागरिकों की जनसंख्या नहीं है इन्हीं 1628 लोगों में से 26 ऐसे लोग हैं जिनके नाम पर करोड़ों का मुआवजा बना है। बता दें कि भूविस्थापित पूर्व एसडीएम शिव बनर्जी के द्वारा बनाए गए करीब 668 मुआवजा प्रकरण को लेकर काफी संतुष्ट थे लेकिन सफेदपोश नेता लोगों को यह संतोषजनक काम उनको रास नहीं आया और शिव बनर्जी का तबादला करा दिया गया। इसके बाद ऋचा सिंह ने कमान संभाली तो सारा खेल गड़बड़, झाला होने लगा। सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि पूर्व में बेहतरीन मुआवजा पत्रक जमीनों मकान और संपत्तियों की सही नापी-सर्वे करके तैयार किया गया था, उसे बाद में SECL के चंद लोगों द्वारा गायब करके दस्तावेजों को जला दिया गया और अपने लोगों के नाम से करोड़ों का मुआवजा बनाने के लिए दूसरा नया पत्रक एक माह के शिविर के दौरान तैयार कर और इसी आधार पर घोटाला किया गया। भूविस्थापितों के बीच से निकली इन सभी चर्चाओं की सच्चाई तो ईमानदाराना पूर्वक केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के विवेचना से ही सारे मामले उजागर होगी।

ओरिजिनल भूमिपुत्र भू विस्थापितों को आगे जब तक न्याय नहीं मिलेगा तब तक इस समाचार को और विस्तार से लिखा जाएगा जब तक भ्रष्टाचार करने वाले दलाल नेता अधिकारी जब तक सलाखों के पीछे नहीं पहुंच जाते और उनकी संपत्ति परिवर्तन निदेशालय अटैच नहीं करती तब तक निरंतर समाचार प्रकाशित करते रहेंगे और ऐसे भ्रष्ट लोगों को सलाखों के पीछे जाना ही होगा धन्यवाद।