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*एसईसीएल दीपिका और कलिंगा के अधिकारियों ने बिना जानकारी दिए तोड़ा मकान, और हरे भरे फलदार वृक्ष को कांटे दोषी अधिकारियों पर हो कानूनी कार्रवाई, मालगांव के भू स्थापित प्रभावितों ने ली पत्रकारवार्ता शासन प्रशासन करें हस्तक्षेप और हमें दिलाये न्याय नहीं तो हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को होंगे मजबूर दिनेश जायसवाल*

कोरबा एसईसीएल दीपिक, गेवरा

कोरबा। एसईसीएल दीपिका- गेवरा ओपन कोल परियोजना द्वारा कोयला उत्खनन के लिए किसान का निजी भूमि एवं उस पर निर्मित मकान, श्री कामदगिरी उद्यान में लगे हरे भरे फलदार वृक्ष इत्यादि का अतिरिक्त मुआवजा राशि प्रदान किये बिना बगैर सूचना दिए बड़ा-बड़ा जेसीबी मशीन से मकान को तोड़ दिया गया है। उसमें रखें सभी सामान नष्ट हो गए आखिर इसका भरपाई कौन करेगा पीड़ितों को सामान निकालने के लिए भी समय नहीं दिया गया।

एसईसीएल दीपका क्षेत्र के अधिकारी सुशील साहू, रोशन मेश्राम तथा एसईसीएल दीपका क्षेत्र में मिट्टी निकालने वाली कलिंगा कंपनी के अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए।

भू विस्थापित एवं परिवार को निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान, श्री कामद गिरी उद्यान का अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। प्रेस क्लब तिलक भवन कोरबा में पत्रकारवार्ता के दौरान उक्त बातें भू विस्थापित दिनेश जायसवाल सहित अन्य ने कही। उन्होंने कहा कि कोयला उत्खनन के लिए एसईसीएल दीपिका- गेवरा क्षेत्र द्वारा उनके एवं परिवार का ग्राम अमगांव में भूमि अधिग्रहण किया गया है। भू विस्थापित उदय नारायण जायसवाल एवं उनके चार पुत्र क्रमश: संजय जायसवाल, प्रेम जायसवाल, राजेश जायसवाल व दिनेश जायसवाल द्वारा अर्जित भूमि पर स्कूल, रिहायशी मकान एवं श्री कामद गिरी उद्यान का निर्माण काफी वर्ष पहले कराया गया था। चूंकि अर्जित भूमि पर बने स्कूल रिहायशी मकान एवं श्री कामद गिरी उद्यान का मुआवजा निर्धारण एसईसीएल द्वारा दिनांक 1.09. 2015 के पश्चात किया गया है जिसका कोयला मंत्रालय के दिशा निर्देश अनुसार रफ्क्लरर एक्ट 2013 की अनुसूचि 01 के तहत मुआवजा का पुर्ननिर्धारण किया गया है। भू विस्थापित परिवार को भूमि पर स्थित मकान, श्री कामद गिरी उद्यान में स्थित हरे भरे फलदार वृक्ष, कुंआ, बोर इत्यादि का अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किये बिना ही 29.05.2025 को दोपहर लगभग 3.00 बजे एसईसीएल दीपका क्षेत्र प्रबंधन के अधिकारी सुशील साहू, रोशन मेश्राम व एसईसीएल दीपका क्षेत्र खदान में मिट्टी निकालने वाली कलिंगा कंपनी के अधिकारी एवं कर्मचारी सहित 3 जेसीबी लेकर बिना कोई सूचना के भू विस्थापित एवं उनके परिवार के मकान को तोडऩा चालू कर दिये।

भू विस्थापित परिवार द्वारा एसईसीएल दीपका क्षेत्र के अधिकारियों से कहा गया कि भू विस्थापित एवं परिवार के मकान को तोडऩे का कोई न्यायालयीन आदेश हो तो दिखाईये परंतु उनके द्वारा ऐसा कोई आदेश नही दिखाया गया। उन्होंने कहा कि अधिकारी कर्मचारी की मौजूदगी में बिना सूचना के लगभग 04 घंटे चले जेसीबी मशीन से ग्राम अमगांव में स्थित भू विस्थापित परिवार के मकान को संपूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया गया है एवं मकान एवं उद्यान में लगे हरे भरे फलदार वृक्षों को भी काट कर ले गए जिससे भू विस्थापित परिवार को लाखों रूपयों का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है उसकी भरपाई आखिर कौन करेगा।

अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता के तहत एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही करने, भू विस्थापित एवं परिवार को निजी भूमि पर बने रिहायशी मकान, श्री कामद गिरी उद्यान का अतिरिक्त मुआवजा राशि का भुगतान किया जाए। नहीं तो माननीय हाई कोर्ट के शरण में जाने को मजबूर होंगे वही एसईसीएल दीपिका के अधिकारी रोशन मेश्राम के द्वारा पीड़ित परिवार को धमकी दिया गया ज्यादा नेतागिरी करोगे तो खदान में फेंकवा दूंगा। उससे पहले एक भूस्थापित  को कोयला चोरी के फर्जी मामले में जेल भेजवा दिया गया था क्योंकि उसके द्वारा एसईसीएल दीपिका के अधिकारियों द्वारा जबरदस्ती दबाव बनाया जा रहा था कि अपना मकान तोड़कर यहां से चले जाओ नहीं तो तुमको जेल भेजवा देंगे।  प्रबंधक और कालिंग के अधिकारी खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं

से पहले भी कालिंग के अधिकारी विकास दुबे के ऊपर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं उनके खिलाफ हरदी बाजार थाना दीपिका थाना और जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में लिखित शिकायत दिया गया है लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुआ है जिससे उनका मनोबल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है ऐसे लोगों के खिलाफ शासन प्रशासन को सक्ति से कार्रवाई करने की आवश्यकता है जिससे क्षेत्र में अमन चैन बना रहे क्षेत्र भऐ मुक्त हो और क्षेत्र के भू स्थापितों को नौकरी पुनर्वास मुआवजा राशि समय में मिल सके उनके साथ अन्याय ना हो देश हित में राष्ट्र के लिए वे अपना सब कुछ दे रहे हैं जमीन, मकान इसके बावजूद भी उनके साथ अन्याय करना ठीक नहीं है क्षेत्र के जनप्रतिनिधि चुप्पी साधे बैठे हुए हैं क्या उनको यह गंभीर समस्या नजर नहीं आ रही है सिर्फ अपनी राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं और अधिकारियों का चमचागिरी चाटुकारता करने में लगे रहते हैं और अपना जेब गर्म कर रहे हैं ऐसे जनप्रतिनिधियों से भू स्थापितों को सावधान रहने की आवश्यकता है धन्यवाद