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*श्याम मंदिर बन गया राजनीति का अखाड़ा आम लोग श्याम मंदिर को दर्शन का पवित्र स्थल मानते हैं वहां पूरी निष्ठा श्रद्धा भावपूर्वक जाकर बाबा श्याम का दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं लेकिन कुछ स्वार्थी तत्व के लोग बाबा का स्थल को भी नहीं बक्स रहे हैं सिर्फ और सिर्फ अपने स्वास्थ्य के लिए चुनाव करना चाह रहे हैं और चुनाव के लिए 10 तारीख को निर्धारित किया गया है जितने भी सम्माननीय सदस्य इस श्याम मंदिर संस्था से जुड़े हुए हैं वे लोग सही व्यक्ति का चुनाव करें जिससे भविष्य में किसी प्रकार की कोई बात विवाद की स्थिति निर्मित ना हो और बाबा का दरबार सुचारू रूप से संचालित हो सके श्रद्धा और सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है इस दुनिया में कोई कुछ भी लेकर इस दुनिया से नहीं जाता है इस बात के ध्यान रखने की आवश्यकता है खाली हाथ आए खाली हाथ जाना है*

श्याम मंदिर बन गया राजनीति का अखाड़ा आम लोग श्याम मंदिर को दर्शन का पवित्र स्थल मानते हैं वहां पूरी निष्ठा श्रद्धा भावपूर्वक जाकर बाबा श्याम का दर्शन करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं लेकिन कुछ स्वार्थी तत्व के लोग बाबा का स्थल को भी नहीं बक्स रहे हैं सिर्फ और सिर्फ अपने स्वास्थ्य के लिए चुनाव करना चाह रहे हैं और चुनाव के लिए 10 तारीख को निर्धारित किया गया है जितने भी सम्माननीय सदस्य इस श्याम मंदिर संस्था से जुड़े हुए हैं वे लोग सही व्यक्ति का चुनाव करें जिससे भविष्य में किसी प्रकार की कोई बात विवाद की स्थिति निर्मित ना हो और बाबा का दरबार सुचारू रूप से संचालित हो सके श्रद्धा और सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं है इस दुनिया में कोई कुछ भी लेकर इस दुनिया से नहीं जाता है इस बात के ध्यान रखने की आवश्यकता है खाली हाथ आए खाली हाथ जाना है

जय श्री श्याम जय श्री श्याम सभी श्याम भक्तों को सादर नमन जैसा कि आप सभी जानते हैं आने वाले 10 जुलाई को श्याम मंदिर में चुनाव होने जा रहा है अध्यक्ष पद के लिए तरह-तरह के भ्रामक मैसेज श्याम मंदिर के ग्रुप में आ रहे हैं जिसे हम लोग देख रहे हैं यह निर्णय हमारा है कि हम मंदिर में कैसा अध्यक्ष चाहते हैं जो की निस्वार्थ भाव से बाबा की सेवा करें मंदिर के प्रगति में अपना योगदान प्रदान करें तरह-तरह के लुभाने बातें हर चुनाव में चाहे वह कहीं का भी किसी भी प्रकार का चुनाव हो प्रत्याशीयों के द्वारा लिखा जाता है बोला जाता है हमें इन भ्रामक स्थितियों में नहीं आना है हमें स्वत अपने बुद्धि विवेक का परिचय देते हुए से अपने मत का सदुपयोग करना है क्या हम एक ऐसे अध्यक्ष को चुने जिसे बाबा के ऊपर बिल्कुल विश्वास ना हो या समाज के वरिष्ठ जनौ पर बिल्कुल विश्वास ना हो जिसने पिछले कई सालों में सिर्फ और सिर्फ चुनाव ही चाहा है इससे पहले भी मंदिर में अध्यक्ष पद को लेकर बहुत गम- गमी हो रही थी उस समय भी मंदिर हितों को लेकर बहुत से श्याम प्रेमियों द्वारा समाज के वरिष्ठ जनों के द्वारा दोनों पक्ष को समझाया गया की आज तक मंदिर में चुनाव नहीं हुआ है और आगे भी मंदिर में चुनाव ना हो सर्वसम्मति से बाबा की सेवा करने के लिए मंदिर में अध्यक्ष बनना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि उस समय भी वर्तमान में चुनाव लड़ रहे अध्यक्ष पद के दावेदार ने ऐसा नहीं होने दिया सामान्यनीय सदस्य एवं वरिष्ठ जनों के इतने समझने के बाद भी वह नहीं माने और बोले मुझे तो चुनाव लड़ना है और चुनाव का जो भी परिणाम होगा वह देखा जाएगा लोगों ने उनसे विनम्रता पूर्वक आग्रह किया की चलो भाई आप दोनों के बीच आप दोनों के नाम की दो पर्ची बनाकर बाबा के दरबार में डाल देते हैं और उसमें से एक पर्ची निकाल कर हम इस प्रकार आप दोनों का चुनाव कर देते हैं जिसका भी नाम पर्ची में आएगा वह सर्वसम्मति से अध्यक्ष माना जाएगा लेकिन उन्हें वह भी मंजूर नहीं था उन्होंने एक सिरे से खारिज कर दिया और कहा मुझे इस प्रकार की किसी भी बातों का विश्वास नहीं है मान लो वह वरिष्ठ जनों पर या श्याम भक्तों पर विश्वास नहीं करते लेकिन बाबा की सेवा करने के लिए वह अध्यक्ष बना रहे थे क्या उन्हें उस बाबा पर भी विश्वास नहीं था यह सोचने वाली बात है अगर उस व्यक्ति को जब बाबा पर ही विश्वास नहीं है तो वह व्यक्ति आपके और हमारे विश्वास में कैसे खरा उतर सकता है यह सोचने का विषय है।

उनके मना करने के बाद चुनाव हुआ और चुनाव में उनकी हार हुई यह नतीजा उनके विपरीत नतीजा आते हैं तो क्या बाबा पर उनका विश्वास नहीं होगा यह सुलगते सवाल है क्या अब लगातार मंदिर परिसर में चुनाव प्रक्रिया चालू हो गई और इस बार मैदान में वह अविश्वासी व्यक्ति कोर्ट कचहरी के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया करवा रहा है और स्वयं चुनाव लड़ रहा है क्या यह सही है आज हमारे श्याम बाबा का मंदिर कोर्ट तक पहुंच गया लेकिन अब समय है हमें अपनी समझदारी दिखाने का और एक सही श्याम भक्त को इस चुनाव में जीतने का ताकि वह जीत कर आए और मंदिर में हुए अब तक के सभी गलत कामों को पुनः सुधारे एवं अपना कार्यकाल पूरा करके वह एक ऐसी परमानेंट व्यवस्था बना दे मंदिर में जिससे दोबारा कभी चुनाव ना हो और हमेशा एक सच्चा और सही श्याम बाबा की सेवा करने के लिए मंदिर में हमेशा निर्विरोध सर्वसम्मति से चुना जाए और हमारे मंदिर की व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके आज जो मंदिर में दो पक्ष आपस में चुनाव लड़ रहे हैं यह किसके लिए लड़ रहे हैं श्याम बाबा जी के दरबार में लिखा हो हारे का सहारा ही उसके लिए लड़ रहे हैं यह सब नादान है बाबा सबको क्षमा करना सबको अपना आशीर्वाद प्रदान करना और सब का साथ देना बाबा और मैं सभी श्याम भक्तों से पुनः निवेदन करता हूं की 10 तारीख को अपना मतदान सोच समझकर बाबा की सेवा जो कर सके ऐसे व्यक्ति को ही अपना बहुमूल्य वोट देना जिस मंदिर की व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित हो सके भविष्य में किसी प्रकार का कोई वाद विवाद की स्थिति निर्मित ना हो वैसे स्वस्थ परंपरा में चुनाव एक लोकतांत्रिक व्यवस्था होती है लेकिन पुराने परंपरा की विपरीत काम करना स्वस्थ समाज के लिए ठीक नहीं है जो हमारे पूर्वजों ने नियम बनाया है उसे नियम का अक्षर सा परिपालन करना ही सच्चे श्याम भक्त का कर्तव्य होता है स्वार्थ और अहंकार की हमेशा पराजय होती है धन्यवाद

जय श्री श्याम जय श्री श्याम बोलो हारे के सहारे की जय 🙏🙏🙏🙏