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*SECL दीपका मेगा प्रोजेक्ट ओपन कोयला खदान के प्रस्तावित विस्तार पर गंभीर चिंताएँ, 40 MT से 55 MT की स्वीकृति से क्षेत्र में आपदा का खतरा,मंजूरी को लेकर दौरा करेगी केंद्रीय पर्यावरण ,वन और जलवायु परिवर्तन विभाग की टीम*

*​कोरबा:-*
क्षेत्र के नागरिकों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सीवियर कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के दीपका ओपन कास्ट कोयला खदान के प्रस्तावित विस्तार को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (MoEF&CC) का एक दल कल खदान का दौरा और निरीक्षण करने वाले है जिसके बारे में विशेष सूत्रों का कहना है कि यह 40 मिलियन टन (MT) प्रति वर्ष से बढ़ाकर 55 MT प्रति वर्ष उत्पादन क्षमता की स्वीकृति देने के लिए किया जा रहा है ।

​कोरबा क्षेत्र के नागरिक और पर्यावरण कार्यकर्ता एसईसीएल (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की दीपका ओपन कास्ट कोयला खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता को 40 मिलियन टन (MTPA) से बढ़ाकर 55 MTPA करने के प्रस्तावित विस्तार पर अपनी गहरी चिंता और कड़ा विरोध व्यक्त करते हैं ।

​हमें पता चला है कि केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (MoEF&CC) का एक दल कल खदान का दौरा और निरीक्षण करने वाला है जिसके बारे में सूत्रों का कहना है कि यह विस्तार की मंजूरी देने के संबंध में है हम MoEF&CC टीम से आग्रह करते हैं कि वे केवल कागजी कार्रवाई पर भरोसा न करें बल्कि ज़मीनी हकीकत क्षेत्र के निवासियों की पीड़ा और पर्यावरणीय आपदा के आसन्न खतरे पर ध्यान देते हुए निर्णय दें ।

*वर्तमान खदान गतिविधियों से उत्पन्न प्रमुख गंभीर समस्याएँ*

​यह विस्तार उस समय प्रस्तावित किया गया है जब मौजूदा 40 MTPA उत्पादन से ही क्षेत्र में अभूतपूर्व पर्यावरणीय और सामाजिक संकट पैदा हो गया है

*​वायु और ध्वनि प्रदूषण*

​पूरे क्षेत्र में कोयले की धूल और राख का घनत्व खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है जिससे स्थानीय निवासियों में श्वसन संबंधी बीमारियाँ बढ़ रही हैं ।
​हैवी ब्लास्टिंग से लगातार तेज कंपन होता है जिससे घरों में दरारें आ रही हैं और स्थानीय वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं ।

*​जल जंगल जमीन संकट और प्रदूषण*

​अत्यधिक खनन के कारण भूजल स्तर में भारी गिरावट आई है जिससे आस-पास के गाँवों में भीषण पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है ​नदी-नालों में खदान का दूषित पानी मिल रहा है जिससे जलीय जीवन और कृषि भूमि प्रभावित हो रही है ।

*​वनावरण का विनाश और जैव विविधता हानि*

​विस्तार के लिए वृक्षों की लगातार और अंधाधुंध कटाई की जा रही है जो क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को गंभीर रूप से बिगाड़ रही है ।

*​सामाजिक और ढांचागत चुनौतियाँ*

​कोयला परिवहन के कारण सड़क दुर्घटनाओं में तेजी आई है जिससे नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ गई है ।

​रोजगार उचित मुआवजा और प्रभावित लोगों के पुनर्वास जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे विकराल रूप ले चुके हैं जिनका समाधान किए बिना विस्तार की बात करना अन्यायपूर्ण है ।

​हम MoEF&CC और एसईसीएल से निम्नलिखित मांगों पर तत्काल ध्यान देने का आग्रह करते हैं

​विस्तार तत्काल रोका जाए:- प्रस्तावित 55 MTPA विस्तार को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए ।
​स्वतंत्र सामाजिक-पर्यावरण ऑडिट:- मौजूदा 40 MTPA खदान के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का एक स्वतंत्र और निष्पक्ष ऑडिट कराया जाए ।
​सार्वजनिक सुनवाई को महत्व:- प्रभावित ग्राम पंचायतों के निवासियों की आपत्तियों और चिंताओं को गंभीरता से सुना और उनका समाधान किया जाए ।
​पुनर्वास को प्राथमिकता:- खदान से प्रभावित परिवारों के लिए एक समयबद्ध और संतोषजनक पुनर्वास पैकेज लागू किया जाए ।

​हम चेतावनी देते हैं कि अगर यह विस्तार बिना उचित विचार-विमर्श और स्थानीय लोगों की सहमति के आगे बढ़ाया जाता है तो यह कोरबा को पर्यावरणीय और सामाजिक आपदा की ओर धकेल देगा हम अपने क्षेत्र और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सभी लोकतांत्रिक और कानूनी साधनों का उपयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं ।

ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति की ओर से खदान विस्तार की मंजूरी के सबन्ध में शामिल सदस्यों से अनुरोध किया गया है कि क्षेत्र की मौजूदा हालात काफी गंभीर है और वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए अग्रिम कार्यवाही किया जाए समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि दीपका खदान विस्तार के लिये हरदीबाजार के अलावा सराईसिंगार, कटगी डबरी , नवापारा ग्रामो को अर्जित किया जा रहा है यहीं पर गेवरा क्षेत्र का विस्तार भी हो रहा है जिससे आसपास का पूरा इलाका संकटो से घिर जाएगा और आने वाली पीढ़ियों के समक्ष जीवनयापन की मुश्किल हो जाएगा आसपास के सभी गांव को विलोपित करने का प्रयास किया जा रहा है जो जनहित में ठीक नहीं है।