*धान बेचने के लिए पर्याप्त समय, किसान निश्चिंत — शासन की खरीदी व्यवस्था से संतुष्टि, धान मिंजाई में जुटे किसानों को भी मिल रही राहत*
कोरबा,
पोड़ी-उपरोड़ा क्षेत्र के किसान सोन साय लगभग चार से पाँच एकड़ भूमि में धान की खेती करते हैं। इस वर्ष वे अब तक केवल दस क्विंटल धान बेच पाए हैं क्योंकि उनके खेतों में अभी भी मिंजाई का काम चल रहा है। उनका कहना है कि धान बेचने को लेकर उन्हें किसी प्रकार की चिंता नहीं है। जैसे ही धान पूरी तरह सूखकर इकट्ठा हो जाएगा, वे उपार्जन केंद्र जाकर बिक्री कर लेंगे।
धान की मिंजाई में जुटे किसान मान सिंह और जदुबर सिंह का भी मानना है कि खरीदी अवधि 31 जनवरी तक बढ़ाए जाने से किसानों को पर्याप्त समय मिल गया है। इससे वे बिना किसी तनाव के खेत का काम पूरा कर पा रहे हैं और समय पर उपार्जन केंद्र में धान बेचने में समर्थ होंगे।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दिशा-निर्देशन में प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में कई महत्वपूर्ण और कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। धान उपार्जन केंद्रों में पारदर्शी तरीके से खरीदी सुनिश्चित की जा रही है और मूल किसानों से ही धान खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए अधिकारियों को भी स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं। जिला प्रशासन द्वारा सभी धान खरीदी केंद्रों में किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए विभिन्न व्यवस्थाएँ की गई हैं। घर बैठे ऑनलाइन टोकन की सुविधा, केंद्रों में बैठने की व्यवस्था, पेयजल उपलब्धता और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएँ किसानों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही हैं।
बुजुर्ग किसान जदुबर सिंह बताते हैं कि उपार्जन केंद्रों में व्यवस्था पहले से काफी बेहतर हो चुकी है। पहले किसानों को धान बेचने को लेकर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता था। यदि बारिश अच्छी हो भी जाती थी तो फसल का पूरा मूल्य नहीं मिल पाता था। धान लेकर उपार्जन केंद्र तक पहुंचने के बाद कई बार रात वहीं गुजारनी पड़ती थी और विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब स्थितियाँ बदली हैं और किसानों को सुविधाएँ सुव्यवस्थित रूप में मिल रही हैं।
नब्बे वर्षीय किसान पूरण सिंह, जिनके पास लगभग पाँच एकड़ भूमि है, बताते हैं कि वे दस क्विंटल धान बेच चुके हैं और शेष धान को मिंजाई पूरी होते ही क्रमशः उपार्जन केंद्र भेज रहे हैं। उनका कहना है कि धान खरीदी व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है और प्रति क्विंटल अधिक मूल्य मिलने से किसानों को राहत मिली है। खरीदी अवधि 31 जनवरी तक बढ़ने से उन किसानों को भी बड़ा लाभ मिला है जिनकी फसल देर से पकती है और जो अभी भी मिंजाई में लगे हुए हैं।
सरकार की पारदर्शी, सरल और किसान-हितैषी धान खरीदी व्यवस्था ने किसानों के मन में विश्वास और संतोष दोनों बढ़ाए हैं। अब किसान निश्चिंत होकर काम कर रहे हैं और उन्हें भरोसा है कि उनकी मेहनत का प्रत्येक दाना उचित मूल्य पाकर ही रहेगा।






