*साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के निदेशक मंडल ने गेवरा ओसीपी (ओपन कास्ट प्रोजेक्ट) के नरईबोध गांव के विस्थापितों के पुनर्वास और पुनर्वस्थापन (R&R) के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है बोर्ड ने कुसमुंडा क्षेत्र के अंतर्गत जरहाजेल गांव की 74.71 एकड़ (30 हेक्टेयर) भूमि को पुनर्वास स्थल के रूप में उपयोग करने के प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दे दी है*
*SECL बोर्ड द्वारा नरईबोध विस्थापितों के लिए जरहाजेल में पुनर्वास स्थल (R&R Site) को मंजूरी*
*बिलासपुर/कोरबा:-*
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के निदेशक मंडल ने गेवरा ओसीपी (ओपन कास्ट प्रोजेक्ट) के नरईबोध गांव के विस्थापितों के पुनर्वास और पुनर्वस्थापन (R&R) के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है बोर्ड ने कुसमुंडा क्षेत्र के अंतर्गत जरहाजेल गांव की 74.71 एकड़ (30 हेक्टेयर) भूमि को पुनर्वास स्थल के रूप में उपयोग करने के प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दे दी है ।
यह निर्णय भारत सरकार के कोयला मंत्रालय (MoC) द्वारा ‘CBA (A&D) अधिनियम 1957’ के तहत अधिग्रहित भूमि के बहुउद्देशीय उपयोग के लिए जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप लिया गया है ।
*आर्थिक और तकनीकी व्यवहार्यता का विश्लेषण*
बोर्ड द्वारा भूमि की प्रकृति और कोयला उपलब्धता पर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि यद्यपि जरहाजेल की भूमि कोयला युक्त है लेकिन CMPDIL की रिपोर्ट के अनुसार यहाँ केवल भूमिगत खनन (Underground Mining) ही संभव है वर्तमान में यहाँ कोयला उत्पादन की लागत (लगभग ₹2309 – ₹2936 प्रति टन) इसकी अधिसूचित कीमत (₹1600 प्रति टन) से कहीं अधिक है ।
आर्थिक रूप से अलाभकारी होने के कारण इस भूमि का उपयोग पुनर्वास जैसे सामाजिक कार्यों के लिए करना सर्वोपरि समझा गया ।
आधुनिक तकनीक से सुरक्षा सुनिश्चित
भविष्य में भूमि धंसने (Subsidence) की आशंकाओं को खारिज करते हुए SECL ने उन्नत तकनीकी समाधानों पर जोर दिया है ।
01. सुरक्षा उपाय:- सैंड स्टोइंग (Sand Stowing) और पेस्ट फिल (Paste Fill) जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा ताकि भूमि की स्थिरता बनी रहे ।
02. स्थिरता जांच:- क्षेत्र सुरक्षा अधिकारी द्वारा डंप का निरीक्षण कर उसे स्थिर पाया गया है ।
03. नागरिक अवसंरचना:- साइट पर जल निकासी प्रणाली (Drainage System) और रिटेनिंग वॉल का निर्माण किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की सुरक्षा संबंधी समस्या न हो ।
*पुनः विस्थापन की आवश्यकता नहीं*
प्रबंधन ने आश्वस्त किया है कि इन सुरक्षा उपायों के बाद ग्रामीणों को भविष्य में दोबारा विस्थापित करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी स्थानीय पार्षद और ग्रामीणों ने भी इस प्रक्रिया के प्रति अपनी सहमति और विश्वास व्यक्त किया है सुरक्षा सुनिश्चित करने की पूरी जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी ।
इस निर्णय से गेवरा परियोजना के विस्तार और नरईबोध गांव के निवासियों के व्यवस्थित पुनर्वास का मार्ग प्रशस्त हो गया है जिससे क्षेत्र के औद्योगिक विकास के साथ-साथ सामाजिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी । कटघोरा विधानसभा के विधायक प्रेमचंद चंद पटेल एसडीएम कटघोरा सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।






