HO – TP Nagar Korba(CG)

finalLogo
Breaking News
कोरबा न्यूज़छत्तीसगढ़ न्यूज़

‘हॉ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं’ थीम के साथ मनाया गया विश्व क्षयरोग दिवस

0 विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का भी हुआ आयोजन
कोरबा। कलेक्टर संजीव कुमार झा के मार्गदर्शन एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एस.एन. केसरी के नेतृत्व में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष जिले में 24 मार्च 2023 को विश्व क्षय दिवस आयोजित किया गया। इस दिन जिले में इस वैश्विक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।


प्रतिवर्ष जिले में विश्व क्षयरोग दिवस पर लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसी क्रम में इस वर्ष भी लोगों को टीबी रोग के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मेडिकल कॉलेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, एचडब्ल्यूसी उपस्वास्थ्य केन्द्रों तथा समुदाय स्तर पर मितानिनों के द्वारा टीबी के संबंध में जानकारी दी गई तथा टीबी के लक्षण वाले मरीजों का स्पूटम जांच करवाने के लिए कहा गया। मेडिकल कॉलेज कोरबा में नर्सिग छात्र-छात्राओं, अधिकारियों-कर्मचारियों तथा नागरिकों को सेमिनार आयोजित किया गया। वहां टीबी के संबंध में डॉ. जी.एस. जात्रा, जिला टीबी अधिकारी ने जानकारी दी। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत एबीएचडब्ल्यूसी में 21 दिवसीय वर्चुअल संवेदीकरण किया जा रहा है। इसमें मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केसरी, डॉ. जात्रा, जिला टीबी अधिकारी प्रवेश खॅॅूटे, डीपीएच तथा अमित कुमार टीम लीडर पीएमटीपीटी की ओर से ट्रेनिंग दी जा रही है। मेडिकल कॉलेज कोरबा में नर्सिंग स्टूडेंट, अधिकारियों और कर्मचारियों ने टीबी मुक्त भारत बनाने की शपथ ली। नर्सिंग छात्राओं ने रंगोली बनाकर जागरूक किया तथा रैली का आयोजन किया गया। टीबी के संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ओपन थिएटर घंटाघर कोरबा में नवाबिहान, सुन मितान तथा नर्सिंग कालेजों के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने पुरस्कार वितरण किया।


सीएमएचओ डॉ. केसरी ने बताया कि साधारण भाषा मेें हम टीबी को क्षय रोग अथवा तपेदिक के नाम से जानते हैं। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम ट्यबरक्लोसिस जीवाणु के कारण होती है, लेकिन यह बीमारी लाइलाज नहीं है। जिले में टीबी के सैकड़ों मरीज हर वर्ष सामने आते हैं। समय रहते इस बीमारी का इलाज करवा लिया जाए तो इसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक किलर डिसीज में से एक है। डब्ल्यूएचओ की तरफ से 2030 तक दुनिया से पूरी तरह टीबी से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित है तथा भारत की ओर से 2025 तक देशवासियों की टीबी की बीमारी से पूरी तरह निजात दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केसरी ने बताया कि टीबी बैक्टीरिया से होने वाली है, सबसे कॉमन फेफडों का टीबी है और यह हवा के जरिये एक दूसरे इंसान में फैलती है। मरीज के खांसने, छींकने के दौरान मुंह तथा नाक से निकलने वाली बारीक बॅूंदे इन्हें फैलाती हैं। एैसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए तो भी इन्फेक्शन हो सकता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, लीवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे अहम बात है कि टीबी की पहचान हो। इसके लक्षण जैसे तीन हफ्ते से ज्यादा लगातार खांसी हो, खांसी के साथ बलगम आना तथा बलगम के साथ खून आना, बुखार, वजन कम होना, भूख न लगना तथा रात में पसीना आना है। टीबी का इलाज संभव है। टीबी के मरीज को 6 से 9 माह तक दवाइयों का सेवन करने से टीबी पूरी तरह ठीक हो सकता है। उन्होंने जिले के लोगों से अपील की है कि जिन्हें उपरोक्त टीबी के लक्षण हो वे तुरंत मितानिन, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, एचडब्ल्यूसी, पीएचसी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला चिकित्सालय (मेडिकल कॉलेज) से संपर्क कर जांच एवं इलाज प्राप्त कर सकते हैं।