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*वर्तमान परिपेक्ष में मजबूत लोकतंत्र,आम चुनाव,युवा एवं मतदाता जागरुकता हो सर्वोपरि प्रोफेसर आदिले *”

वर्तमान में छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव चल रहा है आदर्श चुनाव आचार संहिता लगा हुआ है सभी प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच जाकर अपना कीमती वोट मांग रहे हैं और कई लुभावना बातें भी बोली जा रही है यही खूबसूरती और स्वतंत्रता  है हमारे भारत  में हर प्रत्याशियों को चुनाव को मजबूत करने में आम नागरिकों की  विशेष भूमिका होती है जिससे हमारा भारत देश का लोकतंत्र मजबूत होता है।

“अच्छा हो नेता जहां,अच्छा हो मतदाता।
यही दोनों हैं आज, आधुनिक राष्ट्र निर्माता” सभी देश विशेषतः युवा वर्ग से यही आशा रखते हैं कि वे अपने देश को दिन-प्रतिदिन उन्नति की ओर ले चले। युवा वर्ग के एक तरफ छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो युवा वर्ग से प्रभावित होते रहते हैं और उनका अनुसरण करते हैं। दूसरी ओर बुजुर्ग पीढ़ी होते हैं जो युवा वर्ग की शक्ति और अत्याधुनिक ज्ञान के साथ-साथ उनके साहस और कर्तव्यों पर विश्वास रखते हैं। इसलिए स्वाभाविक है कि ये दोनों वर्ग युवा वर्ग से अपेक्षा कर रहे हैं कि वह अपनी पूरी शक्ति लगाकर देशों को उन्नति की ओर ले चले। आज का युवा वर्ग स्वयं की उन्नति के पथ से हट जाये तो सभी का चिंतन चलना स्वाभाविक ही है। इसलिए इन आशाओं के दीपक युवा वर्ग को कैसे सदा क्रियाशील रखा जाये? इस पर हमें सोचना चाहिए। निश्चित ही आज अनेक युवक और युवतियां अनेक प्रकार के ज्ञान एवं विज्ञान के क्षेत्र में बहुत आगे आ गये हैं। दूसरी ओर इनमें नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जा रहा है। आज वह हिंसा, आक्रोश,नारी दमन,तोड़फोड़, मादक द्रव्यों का सेवन,भोग विलास एवं तृष्णा इत्यादि बुरी आदतों का शिकार है,केवल युवा ही नहीं बल्कि संपूर्ण समाज ही इस दल-दल में फंसता जा रहा है और इसके परिणाम स्वरुप परिवार एवं समाज मेंआपसी मतभेद एवं जाति भेद,रंग भेद बढ़ता ही जा रहा है,इसी के परिणाम स्वरुप सुंदर बोलचाल तथा सद्भावना समाप्त हो रही है समाज में छोटे-बड़े,अमीर- गरीब,छूत-अछूत का भेद भारतीय लोकतंत्र पर सदैव प्रश्न चिन्ह लगता रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा है- ‘लोकतंत्र जनता का, जनता द्वारा,जनता के लिए शासन है’ अर्थात ऐसी शासन प्रणाली जिसमें सत्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता के हाथ में होती है उसे लोकतंत्र या प्रजातंत्र कहते हैं। लोकतंत्र में आम जनता के द्वारा चुना गया प्रतिनिधि राज्य के कार्यों का संचालन करते हैं। चुने गये प्रतिनिधियों का कर्तव्य होता है कि वे संविधान में वर्णित लोग कल्याणकारी योजनाओं का सफल क्रियान्वयन करें। संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन न होने दें तथा जनता का भी कर्तव्य बनता है कि वह संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्यों का पालन करें। अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। आपका कर्तव्य ही दूसरे का अधिकार है। बिना कर्तव्य के अधिकार का अस्तित्व नहीं। हमें सांप्रदायिकता,पृथकता,जातिवाद,गुटवाद, क्षेत्रीयता,हिंसा एवं धन प्रलोभन और पद प्रलोभन के संकीर्ण माहौल से ऊपर उठकर अच्छे कार्य करने चाहिए जिससे राष्ट्र की एकता,अखंडता और प्रभुसत्ता बनी रहे। इसलिए नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं का सम्मान करने वाले ऐसे नेता को ही अपना मत देना चाहिए,जो अच्छे नेतृत्व प्रदान करते हुए जनहित और राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देता हो बनिष्पत अति स्वहित को। इसलिए मैं यही कहना चाहता हूं कि-
“हमें जो देगा नोट।
उसको न देंगे वोट।” की भावना से आम चुनाव में भाग लेना चाहिए। प्रत्येक मतदाता को अपना अमूल्य मत अवश्य डालना चाहिए।
भाग 01(क्रमश:आगामी अंक)

  1. प्रोफेसर प्यारेलाल आदिले
    शिक्षाविद व चिंतक
    बरपाली,कोरबा