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*एसईसीएल,राजस्व विभाग के अधिकारी और जमीन दलाल मिलकर कर रहे हैं करोड़ों रुपए का वारा न्यारा एसईसीएल प्रबंधन को लगा रहे हैं करोड़ों रुपए का चुना एसईसीएल एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों का खुला संरक्षण भू माफिया हुए मालामाल मामला ग्राम रलिया मे 351.40 हेक्टेयर भूमि एवं मकान का रू 93,256,262 करोड के लगभग मौजा राशि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बनाया गया है जिसमें सरकारी वन भूमि सरकारी राजस्व भूमि और निजी भूमि शामिल है देश का केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई करे जांच तब दूध का दूध और पानी का पानी हो सके और दोषी अधिकारी सलाखों के पीछे*

एसईसीएल,राजस्व विभाग के अधिकारी और जमीन दलाल मिलकर कर रहे हैं करोड़ों रुपए का वारा न्यारा एसईसीएल प्रबंधन को लगा रहे हैं करोड़ों रुपए का चुना एसईसीएल एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों का खुला संरक्षण भू माफिया हुए मालामाल

0 मामला कटघोरा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम रलिया मे 351.40 हेक्टेयर भूमि एवं मकान का रू 93,256,262 करोड के लगभग मौजा राशि एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बनाया गया है जिसमें सरकारी वन भूमि सरकारी राजस्व भूमि और निजी भूमि शामिल है वहीं वर्तमान में 111 एकड़ भूमि का नापी होना बाकी है जो भूमि मालिक की मौजूदगी और अन्य कारण वश नही होने के कारण अधिग्रहण का कार्य रुका हुआ है जिसे जल्द से जल्द पूरा करने के लिए एसईसीएल प्रबंधन रलिया गांव का चक्कर काट रहा हैं।

0 रू 93,256,262 का बना मौजा राशि बिना चढ़ावा चढ़ाहाऐ नहीं होता कोई काम आपको बता दें एस ई सीएल गेवरा ओपन परियोजना खुली खदान को आगे विस्तार के लिए भूमि की जरूरत है किस कोयला खनन का कार्य किया जा सके इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन जोड़-तोड़ की नीति में लगी रहती है गांव वालों को आपस में उलझा कर अपना उल्लू सीधा करने में लगा रहता है जिससे भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई कर सके इसके लिए एसईसीएल के अधिकारी स्थानीय राजस्व विभाग के अधिकारियों का सपोर्ट लेना अति आवश्यक होता है पटवारी, आर,आई,तहसीलदार, एसडीएम, आपको बता दें आज से लगभग दो माह पहले सितंबर एवं अक्टूबर से ग्राम रलिया का भूमि एवं मकान का नापी का कार्य एसईसीएल प्रबंधन द्वारा चालू किया गया था जिसमें कटघोरा के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीम) तहसीलदार दीपका आर आई,पटवारी, और एसईसीएल के 6,7 सदस्यों की पूरी एक्सपर्ट की टीम तैनात रही है इसी टीम के द्वारा भूमि अधिग्रहण एवं मकान नापी का कार्य किया गया है हरदी बाजार से रलिया जाने वाले मुख्य मार्ग का बाएं हाथ की ओर जो गेवरा खदान से लगा हुआ है वह सभी भूमि एवं मकानों का नावपी हो चुका है और वही एसईसीएल द्वारा मौजा राशि बनाकर तैयार कर लिया गया है कुछ मकानों में ताले लगे हुए थे उस मकान का मलिक के गैर मौजूदगी में भूमि एवं मकान का नापी नहीं किया गया है जिसमें संशोधन आवश्यकता अनुसार किया जाएगा ऐसा सूत्र बता रहे है।

0 2012-13 में गेवरा ओपन परियोजना खुली कोयला खदान भूमि अधिग्रहण के लिए तत्कालीन कलेक्टर रजत कुमार ने ग्राम पंचायत पोडी में पुलिस फोर्स लगाकर हटाया गया था उस वक्त रलिया भाटा की पूरी जमीन वन भूमि, शासकीय राजस्व भूमि की भूमि पूरी खाली पड़ी हुई थी जिससे आप सेटेलाइट के माध्यम से वीडियो या फोटोग्राफ निकलवा कर देख सकते हैं यह बातें झूठलाया नहीं जा सकता। जब उस समय पूरा भूमि खाली थी तब एसईसीएल प्रबंधन इन शासकीय भूमियों को अपने कब्जे में क्यों नहीं ले रही थी आज इस खाली पड़ी हुई जमीन का करोड़ों रुपए का मौजा राशि देना पड़ रहा है इसके लिए जवाबदार आखिर कौन है और बेजा कब्जा कर खाली पड़ी जमीन पर करोड़ों रुपए के आलीशान मकान बनाकर सिर्फ और सिर्फ मौज राशि लेने के लिए मकान बनाया गया ऐसे लोगों के खिलाफ एसईसीएल प्रबंधन एवं राजस्व विभाग के द्वारा क्यों करवाई नहीं किया गया इसमें एस ई सी एल के कुछ दलाल एवं पुलिस विभाग के लोग आलीशान मकान बनाए हैं जिसे जांच होने पर सच्चाई सामने आ जाएगा।

निष्पक्ष जांच कर एसईसीएल प्रबंधन को मौजा राशि का वितरण करना चाहिए और अगर ऐसा एसईसीएल प्रबंध नहीं करती है तो उन अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार की जांच एजेंसी सीबीआई को दखल देने की आवश्यकता है जिसे केंद्र की राशि का बंदर बांट ना हो सके और दूध का दूध पानी का पानी हो सके। और लंबे समय से बसे हुए स्थानीय लोगों को मौजा राशि मिल सके

एसईसीएल प्रबंधन को लगा रहे हैं करोड़ों रुपए का चुना दलालों एवं भू माफिया के द्वारा जिसमें खुला संरक्षण एसईसीएल एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों का है ऐसे तत्वों के खिलाफ एसईसीएल प्रबंधन कार्रवाई न करके खुला सपोर्ट करते आई है जिससे दलाल नुमा भूमाफियाओं का मनोबल बढ़ता ही जा रहा है।

0 सूत्रों के मने तो एसईसीएल गेवरा ओपन परियोजना खुली खदान द्वारा अभी तक लगभग 200 मकान का नापी हो चुका है जिस पर गोरख धंधा करने वाले अधिकारी एवं दलाल सक्रिय है और शासन प्रशासन का खुला संरक्षण प्राप्त है ।

 

,,आपने एक पुरानी कहावत सुनी होगी,,

सैया भाई कोतवाल तो अब डर काहे का यही स्थिति वर्तमान में रलिया में चरितार्थ होते हुए नजर आ रहा है। लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं इस विषय को लेकर कई शासन प्रशासन कब गंभीरता पूर्वक संज्ञान मे लेती है और शासन के पैसों का दुरुपयोग करने वाले अधिकारियों और दलालों के ऊपर कब कार्रवाई करती है

इस समाचार को प्रमुखता से निरंतर प्रकाशित करते रहेंगे जब तक दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो जाता।

,,कलाम की ताकत देश की ताकत,, धन्यवाद।