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*ऊर्जाधानी भू विस्थापित किसान कल्याण समिति संगठन ने 5 घण्टे तक किया मुख्य गेट जाम से दीपका कार्यालय में नही हो सका कामकाज काज*

*एसईसीएल प्रबन्धन का फूंका गया पुतला – सीजीएम को सौंपा गया ज्ञापन*

*दीपका/गेवरा:-*
ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति द्वारा एसईसीएल की दीपका क्षेत्रीय मुख्यालय में आज सुबह 10 बजे से 3 बजे तक गेटजाम कर दिया जिससे कार्यलय का कामकाज प्रभावित हुआ । आज के आंदोलन के आखिर में एसईसीएल प्रबन्धन का पुतला फूँककर भूविस्थापितों ने अपनी गुस्से का इजहार भी किया ।

पिछले 31 मई से ऊर्जाधानी संगठन को ओर से रैखिक सबन्ध, अर्जन के बाद जन्म, अलग अलग समय मे अधिग्रहण पर लम्बित रोजगार , नए रोजगार देने में विलंब , बसाहट और मुआवजे के साथ साथ पुनर्वास ग्रामो का समुचित विकास कार्य ,जिला खनिज निधि के बन्दरबांट पर रोक लगाकर प्रत्यक्ष प्रभावित ग्रामो में शिक्षा स्वास्थ रोजगार पर खर्च जैसी मांगो पर आक्रोश रैली और प्रदर्शन के साथ एसईसीएल की गेवरा मुख्यालय के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया गया है । इसी कड़ी में आज दीपका मुख्यालय में भी 5 घण्टे तक जाम कर प्रबन्धन का पुतला फूंका गया ।

ऊर्जाधानी संगठन का आरोप है कि देश की विकास के नाम पर किसानों के साथ विश्वासघात किया गया है । गेवरा ,दीपका, कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के विभिन्न कोयला खदानों के लिए हजारों किसानों की जमीन अर्जित किया गया है, भविष्य में भी और भी विस्तार किया जाएगा । जिसके कारण कई गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है । 60 वर्ष पूर्व से देश के विकास की आहुति की भेंट चढ़े विस्थापित प्रभावित परिवार जिसमे प्रमुख रूप से वनों के रक्षक आदिवासी -मूलनिवासियो का विकास के बजाय विनाश ही हुआ है । प्रबन्धन एवं सरकार की नीतियों के कारण हमारे भूविस्थापितों किसानों में एसईसीएल के प्रति नकारत्मक छवि बन चुकी है । यही कारण है कि दशकों से लगातार आन्दोलनात्मक संघर्षो का द्वंद चल रहा है । जिला प्रशासन के साथ वार्ता व निर्देशों का पालन करने में एसईसीएल प्रबन्धन द्वारा नियमो का हवाला देकर भूविस्थापितों की मांगों को पूरा करने में असमर्थता जाहिर करते आयी है ।

इस सबन्ध में संगठन के अध्यक्ष सपूरन कुलदीप ने कहा है ,विगत नवम्बर 2021 को एसईसीएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, अन्य वरिष्ठ अधिकारियों एवं जिला कलेक्टर श्रीमती रानू साहू जी , विधायक द्वय श्रीमान पुरुषोत्तम कंवर , मोहितराम केरकेट्टा जी की उपस्थिति में सकारत्मक वार्ता के बाद समस्याओ के समाधान एवं मांगो पर हमारी उम्मीद जगी थी । इसी तरह से 17 फरवरी 2022 को हुई समीक्षा बैठक में तीन महीने का समय देते हुए समस्याओ का निराकरण करने का निर्देश कलेक्टर महोदया द्वारा जारी किया गया था । किंतु एसईसीएल एवं तहसील कार्यालयों में भूविस्थापितों की समस्याओ को उलझा कर रख दिया गया है और लोंगो को यहां से वहाँ भटकना पड़ रहा है । इसलिए मजबूरीवश आंदोलन के रास्ते पर जाने के अलावा कोई विकल्प नही है ।ऊर्जाधानी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले चलाये जा रहे इस आंदोलन की प्रमुख मांगो में कहा गया है नवम्बर 2021 एवं फरवरी 2022 तथा उससे पूर्व 2015 से लगातार वार्ताओं में लिए गये निर्णय ,कलेक्टर कोरबा द्वारा जारी निर्देश के अनुसार तत्काल भूविस्थापितों की समस्याओं को निराकृत किया जाए । जमीन के एवज में दी जाने वाली रोजगार के पुराने मामले में अर्जन के बाद जन्म , रैखिक सबंधो , अलग अलग वर्ष में अलग अलग एक्ट के तहत अर्जन , दस्तावेजो में कमी इत्यादि कारणों से रोके गए नामांकित व्यक्तियों को रोजगार प्रदाय की जाये । अमगांव के आश्रित मोहल्लों जोकाहीडबरी , दर्राखांचा ,रोहिदास मोहल्ला की रोके गए जमीन व परिसम्पत्तियों का मुआवजा का भुगतान किया जाए । एवं इसी तरह अन्य सभी क्षेत्रों में इस तरह की समस्याओ का समाधान किया जाए । भुविस्थापित परिवार के कामगारों को प्रताड़ित करना बन्द हो ।
कोयला परिवहन के लिए बिछाए जा रहे रेल लाइन के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों की परिसम्पतियों , श्मशान , कब्रिस्तान ,( मठ ) का मुआवजा एवं अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए उचित कार्यवाही किया जाए । पूर्व में खदानों के कारण विस्थापित हुए परिवारों के पुनर्वास ग्रामो में सभी आवश्यक विस्तार कार्य किये जायें तथा बुनियादी सुविधाएं प्रदान किये जायें तथा वहां निवासरत युवाओं और महिलाओं को वैकल्पिक रोजगार , स्वरोजगार उपलब्ध करायी जाए । गेवरा ,कुसमुंडा एवं दीपका क्षेत्र में भूविस्थापितों के लिए लागू 5 लाख रुपये तक की ठेका कार्य के शर्तो में संशोधन किया जाए और कोरबा क्षेत्र में भी लागू किया जाए तथा 5 लाख तक का टेंडर वर्क केवल भूविस्थापितों के लिए ही रखा जाए ।
पूर्व में कोल इंडिया की गाइडलाइन के अनुसार एवं फंक्शनल डायरेक्टर्स के निर्णय के अनुसार भूविस्थापित परिवारों के बेरोजगारों के लिए कोल ट्रंसपोर्टेशन सहित सभी तरह की टेंडर में 20 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए ।

आज के आंदोलन के दौरान जनप्रतिनिधि ढुरेना सरपंच नोनी बाई कंवर, जनपद सदस्य अनिल कुमार टंडन ,सुभद्रा कंवर , संगठन के पदाधिकारी श्यामू जायसवाल , ललित महिलांगे , केशव नारायण जायसवाल , अनसुइया राठौर , नरेंद्र राठौर , राहुल जायसवाल वीर सिंह , संजू कंवर , महेंद्र पटेल , अशोक साहू काशीनाथ विद्याधर दयाराम सोनी ओमप्रकाश जायसवाल ललित कंवर,लीला गीता राठौर मनोरमा यादव गिरजा गोढ़ गायत्री भगवती चंद्रकला कश्यप डोमेश्वरी लता लक्ष्मीन शशीकला रेखा मालती संतोषी अनीता यामिनी प्रमिता राधिका प्रभा उमा संध्या गकेश्वरी नंदिनी बैजेन्ती बाई कवर मीरा बाई कंवर उर्मिला बाई कंवर निर्मला कंवर ललिता बाई शुशीला बाई जानकी बाई मान कुंवर अक्ती कंवर बबीता कोता बाई मीरा कमला बाई चमेली राजकुमारी लक्ष्न कुंवर विकास कुमार राजेश्वर कुंवर एवं सैकड़ों भूविस्थापित शामिल थे ।

प्रेषक
ललित महिलांगे
मीडिया प्रभारी
*U B K K S*