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*कोरबा शहर हुआ भक्ति मै, भव्य कलश यात्रा के साथ आशीर्वाद प्वाइंट में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ आचार्य श्री मृदुलकांत शास्त्री ने कहा- जब तक जीवन में भक्ति नहीं तब तक मनुष्य को शांति नहीं*

कोरबा धर्म संस्कृति,

कोरबा। कबुलपुरिया परिवार कोरबा एवं दिल्ली द्वारा 04 सितंबर से 11 सितंबर तक आशीर्वाद प्वाइंट,पंडित दीनदयाल सांस्कृतिक भवन टीपी नगर कोरबा में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। आज प्रात: 8.00 बजे गायत्री मंदिर सीएसईबी चौक से भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें कबुलपुरिया परिवार की सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया और आचार्य श्री मृदुलकांत शास्त्री के सानिध्य में मंत्रोच्चार के साथ कलश यात्रा कथा स्थल पहुंची, जहां पर आचार्य श्री ने कथा ब्यास की स्थापना की और पूजा अर्चना के साथ भगवान श्री कृष्ण एवं सभी देवताओं का आह्वान किया गया। सर्वप्रथम रिद्धि-सिद्धि के दाता, विघ्रहर्ता भगवान श्री गणेश का आह्वान किया गया।

आज प्रथम दिन आचार्य श्री मृदुलकांत शास्त्री जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ किया और संगीतमय भजन से उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण के भक्ति रस में घंटों तक डुबाए रखा और भक्ति उपासना का महत्व समझाते हुए कहा कि जब तक जीवन में भक्ति नहीं है, तब तक मनुष्य को जीवन में शांति नहीं मिल सकती, इसलिए मनुष्य को भगवत भक्ति के लिए समय निकालकर स्वयं के जीवन के लिए कुछ समय अवश्य निकालना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि वृंदावन में बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में लोग आते हैं और भगवान श्री के चरणों में रोते हुए जीवन में शांति की भीख मांगते हैं।

आचार्यश्री के श्रीमुख से निकलते भक्ति रस से श्रोतागण झूमते नजर आये और घंटों तक सभी को भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और लीला का कलयुग में महात्म्य समझाया और कहा कि कलयुग में भगवान की भक्ति से बड़ा मोक्ष का कोई रास्ता नहीं है। उन्होंने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य का महात्म्य भी समझाया और कहा कि प्रेत योनी से मोक्ष में ये तीनों महत्वपूर्ण हैं और भगवत की महिमा की संपूर्ण जीवन का आधार है।

उन्होंने हिन्दूओं पर ही व्यंग्य कसते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण को हम जैसे लोग ही गाली देते हैं, मां सीता के चरित्र पर लांछन किसने लगाया, हमारे जैसे लोग ही। कोई मुस्लिम या इसाई ऐसे लांछन नहीं लगाता। आचार्यश्री ने कहा कि यदि आप सोचते हैं कि आप अच्छा काम करेंगे, तो आपकी प्रशंसा होगी, यह भूल जाइए। आप अच्छा कर्म करें, दुनिया की परवाह किये बगैर। अपने आप को ऐसा बनाइए कि दूसरों के जीवन में शांति आये। भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से मनुष्य के जीवन में कर्म को प्रधान के रूप में संदेश दिया है और कहा है कि श्रीमद् भागवत की कथा सुनने से ही मनुष्य का कल्याण हो सकता है। आचार्य श्री ने प्रथम दिन भव्य कलश यात्रा के महत्व को भी समझाया। उन्होंने भागवत कथा महात्म्य के बारे में विस्तार से बताया और कुंती स्तुति, भीष्म स्तुति के माध्यम से श्रोतागणों का रसपान कराया। उन्होंने कलयुग में श्रीमद् भागवत कथा का महत्व समझाते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत के अनुसार सभी मनुष्य को अपनी जीवन शैली बनानी चाहिए और सुबह ब्रम्ह मुहूर्त में उठना चाहिए और देर रात तक जागना नहीं चाहिए। आज लोग बोलते हैं कि अति व्यस्त हूं, समय नहीं है। ऐसी सोच रखना उनकी भूल है और यदि स्वयं के लिए समय नहीं निकाल नहीं पाते तो ऐसा जीवन भी किस काम का । कर्म प्रधान विश्व करी राखा … भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद् भागवत के माध्यम से हमें यह सीख दी है कि अच्छे कर्म करो… जीवन अपने आप धन्य हो जाएगा। आचार्यश्री के संगीत मय कथा-प्रवचन से लोग अपने आप को धन्य समझ रहे हैं। यह कथा आगे 11 सितंबर तक निर्विघ्र चलती रहेगी।

कल सुकदेव आगमन, कपिल अवतार, शिव-सती चरित्र कथा

कथा के दूसरे दिन आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री के श्रीमुख से सुकदेव का आगमन होगा और ऋषि कपिल का अवतार, श्री शिव-सती चरित्र का वर्णन किया जाएगा। आचार्यश्री ने कोरबावासियों से अपील की है कि श्रीमद् भागवत का श्रवण करने आशीर्वाद प्वाइंट में दोपहर 3.00 बजे अवश्य पधारे और जीवन को धन्य करे।

भक्ति , ज्ञान और वैराग्य की झांकी ने मनमोहा

आचार्यश्री मृदुलकांत शास्त्री महाराज के श्रीमुख से संगीत मय कथावाचन के साथ प्रथम दिन भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की मनमोहक झांकी कथा स्थल पर रखी गई और उन्होंने इन तीनों जीव तत्वों के बारे में विस्तार से वर्णन किया और भक्ति से जीवन को कैसे धन्य बनाएंगे, ज्ञान से किस तरह तिमीर का नाश करेंगे और भगवान की भक्ति ही जीवन का वैराग्य है, का विस्तार से श्रोतागणों को समझाया। संगीतमय कथावाचन से यहां उपस्थित सैकड़ों श्रोतागण भक्ति में झूमते नजर आये, यहां भक्ति की शक्ति देखने को मिला।