*पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 2021-22 में दर्री तहसील ऑफिस के सामने सड़क निर्माण कार्य के उद्घाटन समारोह के समय तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू को सबसे भ्रष्ट, करप्ट कमीशनखोर अधिकारी कहा था वह जहां-जहां पदस्थ थी वहां बिना पैसा लिए दिए कभी कोई काम नहीं करती थी वही काम वर्तमान में कोरबा जिले में कर रही है भ्रष्ट कलेक्टर का संज्ञा उन्होंने दिया था और ऐसे अधिकारी को हम कोरबा जिले में रहने नहीं देंगे उसके कुछ दिनों के बाद उनका तबादला रायगढ़ जिला में हो गया था तब से लेकर अब तक जेल की हवा खा रही है कर्मों का फल यही मिलता है यह बातें अधिकारियों के लिए एक बड़ा सबक है जिसे आत्मशाद करने की जरूरत है नहीं तो यही हाल होगा भ्रष्ट अधिकारियों का*
तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू जो अभी जेल की हवा खा रही है
पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 2021-22 में दर्री तहसील ऑफिस के उद्घाटन के समय तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू को सबसे भ्रष्ट, करप्ट कमीशनखोर अधिकारी कहा था वह जहां-जहां पदस्थ थी वहां बिना पैसा लिए दिए कभी कोई काम नहीं करती थी वही काम वर्तमान में कोरबा जिले में कर रही है भ्रष्ट कलेक्टर का संज्ञा उन्होंने दिया था
जो वर्तमान में सच साबित हो रहा है पहले कोयला चोरी के मामले में लंबे समय से जेल में थी अब जिला खनिज न्याय मद के मामले में करोड़ों रुपए का हेरा फेरी और कमीशन खोरी पैसा अर्जित करने के मामले में फिर से जेल जाना पड़ा लगता है उनका पूरा जीवन पुलिस न्यायालय और जेल की हवा ही खाना पड़ेगा क्योंकि उन्होंने कर्म ही ऐसा किया है सबसे पहले उनके भ्रष्टाचार को लेकर पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने आवाज उठाई थी और उन्होंने कहा था ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को कोरबा जिले में रहने नहीं देंगे रानू साहू लगभग कोरबा जिले में 1 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर पाई थी और यहां से रायगढ़ जिला उनको जाना पड़ा उसके बाद उनकी उल्टी गिनती चालू हो गई उनको ईडी, परिवर्तन निदेशालय उनके पीछे पड़ गई और उनसे पीछा छुड़ाने के लिए कभी हॉस्पिटल में एडमिट होना कभी स्वास्थ्य का हवाला देना लेकिन काफी दिनों तक चला लेकिन उनकी चतुराई काम नहीं आई अंतत उन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया और उन्हें न्यायालय में पेश किया उसके बाद लंबे समय तक जेल की हवा खा रही एक मामले में छूट नहीं पाई और अब जिला खनिज न्याय मद के मामले में फिर से जेल जाना पड़ा जानकार बताते हैं की लगभग 125 करोड़ से भी अधिक का घोटाला उन्होंने तत्कालीन आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त श्रीमती माया वरिया के साथ मिलकर किया है 40 से 50% कमीशन लेकर काम किया करती थी जो ठेकेदार सप्लायर कमीशन देते थे उन्हीं को कम दिया करती थी
विशेष सूत्र बताते हैं कुछ ग्राम पंचायतों में सौर ऊर्जा से संबंधित लाइट भी लगाई गई थी जिसकी कीमत मार्केट में काफी कम था और प्रपोज ढाई से ₹3 लख रुपए का बनाया गया था यह लाइट अलग-अलग रेट निर्धारित किया गया था वही छात्रावास में रिपेयरिंग और मरम्मत रंग रोगन के नाम पर फर्नीचर बेड जीणोद्धार और विभिन्न प्रकार की सामग्री की खरीदी धड़ल्ले से की गई थी जिसकी जरूरत है और जिसकी जरूरत नहीं थी और उसे भी अनाप-शनाप रेट में खरीदा गया था। यह एक उदाहरण स्वरुप है ऐसे बहुत से और भी मामले हैं जिस समय आने पर प्रमुखता से उजागर किया जाएगा।
जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और सरपंच जिनके क्षेत्र में कार्य हुआ है या नहीं हुआ है जिनके खाते में जिला खनिज न्याय मद की राशि पहुंची है और सरपंच से राशि उस समय के जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को पैसा लेकर तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू या आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त माया वरिया को दिया करते थे तब दूसरा किस्त जारी किया करते थे सूत्र तो यह भी बताते हैं जितने भी ठेकेदार, सप्लायर, और बाबू उनकी उस समय के कार्यकाल में अहम भूमिका रही है अब उनकी खैर नहीं है सभी की फाइल खुलेगी और उनको सलाखों के पीछे जाना ही पड़ेगा सभी की चल और अचल संपत्ति की जांच होनी वाली है और होना भी चाहिए और सरकार को इनकी संपत्ति को शीज करना चाहिए जो भ्रष्टाचार कर करोड़ों रुपए कमाए हैं जिससे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों को सबक मिल सके यह पैसा उनका नहीं है बल्कि आम जनता की पैसा है कोरबा जिले की विकास के लिए पैसा केंद्र शासन ने दिया था खदानों से मिलने वाली रॉयल्टी की पैसा है जो केंद्र सरकार राज्य सरकार को क्षेत्र की विकास के लिए धनराशि उपलब्ध कराती है लेकिन जिले में बैठे अधिकारी भ्रष्टाचार कर बेईमानी करने में लगे रहते हैं और अपनी संपत्ति को बढ़ाने में लगे रहते हैं इनको जिले का विकास से कोई सरोकार नहीं है इनको सिर्फ और सिर्फ अपना विकास करना है यही सच्चाई है और यह सोचकर कोरबा आना चाहते हैं अधिकारी
अभी वर्तमान में तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू जिला खनिज न्याय मद के मामले में जेल की हवा खा रही है और उनके ऊपर छत्तीसगढ़ सरकार ने एसीबी में भी मामला दर्ज किया है अब देखना है कि भविष्य में आगे और क्या कार्रवाई उनके खिलाफ होता है वह तो आने वाला समय ही बताएगा
आधे जेल में आधे बेल में और आधे जांच के दायरे में कोरबा जिले में किए गए भ्रष्टाचार की परतदार परत पोल खुलती जा रही है और जांच का दायरा बढ़ता जा रहा है कितने अधिकारी, कर्मचारी, बाबू, ठेकेदार, सप्लायर, इसके लपेटे में आएंगे इसका थोड़ा इंतजार कोरबा वासीयों को करना पड़ेगा।
अभी और तत्कालीन दो कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल, संजीव झा, के द्वारा करोड़ों रुपए का अलग-अलग मद से करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार करने का इनके ऊपर आरोप लगा है उनका भी परिवर्तन निदेशाल और एसीबी को जांच करना चाहिए जिससे दूध का दूध और और पानी का पानी हो सके धन्यवाद