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*छत्तीसगढ़ की राजनीति में मचा हड़कंप:कुछ समानता हैं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के आरोप और मंत्री टीएस सिंहदेव की इस्तीफे वाली चिठ्ठी में*

*छत्तीसगढ़ की राजनीति में मचा हड़कंप:कुछ समानता हैं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के आरोप और मंत्री टीएस सिंहदेव की इस्तीफे वाली चिठ्ठी में*

➡️ वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र मेहता जी के कलम से

केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायतीराज मंत्री गिरिराज सिंह ने केंद्र की पी.एम. आवास योजना को लेकर छतीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। ठीक दूसरे दिन यानी शनिवार को इस खबर ने हड़कम्प मचा दिया कि राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस्तीफ़ा दे दिया हैं उन्होंने ग्रामीण विकास व पंचायत विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दिया हैं।
सिंहदेव के इस्तीफे ने एक बार फिर यह बात होने लगी कि इस बार बाबा आरपार की लड़ाई लड़ने के पूरे मूड में हैं।दूसरी इस बात की चर्चा जोरों पर हैं कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने कोरबा प्रवास के दौरान पत्रकार वार्ता में पी.एम. आवास योजना को लेकर छतीसगढ़ सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।कहा है कि भूपेश सरकार ने गरीबों का हक छीन लिया है। 11 लाख आवास के लिए मैचिंग ग्रांट नहीं दिया गया, जिसके कारण केंद्र को राशि वापस लेनी पड़ी है, जिससे जरूरतमंदों को अपने हक से वंचित होना पड़ गया हैं।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के आरोप पर सच की मुहर उस वक्त लग गई जब भूपेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास छोड़ने का ऐलान कर दिया।मुख्यमंत्री भुपेश बघेल को लिखे अपने पत्र में सिंहदेव ने पीएम आवास योजना सहित कई चीजों का खुलासा किया हैं और अपना दर्द भी बयां किया हैं।
सिंहदेव ने अपने पत्र की शुरुआत ही पीएम आवास योजना से की,उन्होंने लिखा माननीय श्री भूपेश बघेल जी , मुख्यमंत्री , छत्तीसगढ़ शासन । विगत तीन वर्षों से अधिक मैं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के भारसाधक मंत्री के रूप में कार्य कर रहा हूं । इस दौरान कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई हैं जिससे आपको अवगत कराना चाहता हूं । प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत् प्रदेश के आवास विहीन लोगों को आवास बनाकर दिया जाना था जिसके लिए मैंने कई बार आपसे चर्चा कर राशि आवंटन का अनुरोध किया था किन्तु इस योजना में राशि उपलब्ध नहीं की जा सकी फलस्वरूप प्रदेश के लगभग 8 लाख लोगों के लिए आवास नहीं बनाये जा सके । इसके अतिरिक्त 8 लाख घर बनाने में से करीब 10 हजार करोड़ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में सहायक होते हमारे जन घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के 36 लक्ष्य अंतर्गत ग्रामीण आवास का अधिकार प्रमुख रूप से उल्लेखित है । विचारणीय है कि प्रदेश में वर्तमान सरकार के कार्यकाल में बेघर लोगों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया जा सका और योजना की प्रगति निरंक रही । मुझे दुःख है कि इस योजना का लाभ प्रदेश के आवास विहीन लोगों को नहीं मिल सका । किसी भी विभाग के अधीन Discretionary योजनाओं के अंतर्गत कार्यों की स्वीकृति का अनुमोदन उस विभाग के भारसाधक मंत्री का निर्धारित अधिकार है । किन्तु मुख्यमंत्री समग्र ग्रामीण विकास योजना के अंतर्गत कार्यों की अंतिम स्वीकृति हेतु Rules of Business के विपरीत मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की गयी कार्यों की स्वीकृति हेतु
20 मंत्री के अनुमोदन उपरांत अंतिम निर्णय मुख्य सचिव की समिति द्वारा लिये जाने की प्रक्रिया बनायी गयी जो प्रोटोकाल के विपरीत और सर्वथा अनुचित है , जिस पर मेरे द्वारा समय – समय पर लिखित रूप से आपत्ति दर्ज करायी गयी । किन्तु आजपर्यन्त इस व्यवस्था को सुधारा नहीं जा सका है फलस्वरूप 500 करोड़ से ज्यादा की राशि का उपयोग मंत्री / विधायक / जनप्रतिनिधि के सुझावों के अनुसार विकास कार्यों में नहीं किया जा सका । वर्तमान में पंचायतों में अनके विकास कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाये ।पत्र में सिंहदेव ने अन्य कई चीजों का भी खुलासा किया हैं।
अब यहां प्रश्न यह उठता हैं कि यह सोची समझी रणनीति का हिस्सा हैं या फिर केंद्रीय कैबिनेट मंत्री गिरिराज सिंह का भूपेश सरकार पर आरोप के बाद सिंहदेव का पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग छोड़ने के ऐलान की कहानी एक संयोग हैं।दरअसल बात इस लिए उठ रही हैं कि शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री ने पीएम आवास का मुद्दा उठाकर राज्य सरकार पर आरोप लगाया और शनिवार को सिंहदेव ने भी पीएम आवास योजना के मुद्दे सहित कई चीजों का खुलासा कर प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया हैं।
सिंहदेव के विभाग छोड़ने की रणनीति से सत्ता के भीतर लड़ाई अब और तेज होगी इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।प्रश्न यह भी उठ रहा हैं कि छत्तीसगढ़ में भी महाराष्ट्र जैसी धटना तो नहीं होगी?