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*लिमिटेड टेंडर में किए गए 89 लाख 61 हजार घोटाले की जांच करने के लिए दो दिन से सीबीआई की टीम एसईसीएल गेवरा के ऑफिस में जाकर सभी टेंडर से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारि सीजीएम,सिविल एसो, और ठेकेदारों के हाथ पैर फूले हुए है उनको समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे इस भ्रष्टाचार से अपने आप को बचा सके करनी का फल यही मिलता है जैसे करनी वैसी भरनी इन भ्रष्ट अधिकारियों ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि ऐसे भी दिन देखने पड़ेंगे*

लिमिटेड टेंडर में किए गए 89 लाख 61 हजार घोटाले की जांच करने के लिए दो दिन से सीबीआई की टीम एसईसीएल गेवरा के ऑफिस में जाकर सभी टेंडर से संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं

जिससे भ्रष्टाचार में लिप्त एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारियों का हाथ पैर फूला हुआ है उनको समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे इस भ्रष्टाचार से अपने आप को बचा सके

आपको बता दें लिमिटेड टेंडर अति आवश्यक कार्य को करने के लिए एसईसीएल के सीजीएम के पास 1 करोड़ के लगभग राशि का अधिकार होता है कि वे लिमिटेड टेंडर कर सके उसके लिए एसईसीएल कोल इंडिया द्वारा जो गाइडलाइन बनाया गया है उस गाइडलाइन को ध्यान में रखकर टेंडर करना होता है संबंधित वित्त विभाग से भी अनुमति लेनी होती है लेकिन अधिकारी अपने चाहते ठेकेदारों को अनाप-शनाप दर में टेंडर ओपन कर उस ठेकेदार को कार्य करने की अनुमति प्रदान कर देते हैं जो कमीशन एसईसीएल के अधिकारी को लेना रहता है वह पूरा कमिशन कार्य होने से पहले ही ले लेते हैं ऐसा हमारे विशेष सूत्र बता रहे हैं अब उसके बाद ठेकेदार अपने हिसाब से मनमानी ढंग से कार्य करता है जिसे सिविल विभाग के अधिकारी उनके कार्य को लेकर कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं वही एक चौंकाने वाली बात सामने आई है लिमिटेड टेंडर अगर एसईसीएल के सीजीएम द्वारा अनुमति दी जाती है वह टेंडर सिविल एसो के माध्यम से ओपन किया जाता है उसमें कोई दूसरा ठेकेदार पार्टिसिपेट नहीं कर सकता जिसको अधिकारी चाहता है वही ठेकेदार पार्टिसिपेट कर सकता है।

सीजीएम एसके मोहंती जब से गेवरा में पदस्थ हैं तब से कई लिमिटेड टेंडर ओपन उनके द्वारा किया जा चुका हैं सूत्र तो यह भी बताते हैं 7 से 8 लिमिटेड टेंडर के माध्यम से ठेकेदार को करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचाया गया है और अधिकारी इसका पूरा कमिशन खा चुके हैं अब इसका खुलासा जांच में सामने आएगा जब संबंधित ठेकेदारों से पूछताछ होगी जो ठेकेदार लिमिटेड टेंडर में लाखों करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार किए हैं उनको भी एसईसीएल कोल इंडिया से ब्लैक लिस्ट करने की आवश्यकता है जिससे भ्रष्टाचार में अंकुश लगाया जा सके।

लिमिटेड टेंडर का नियम है क्या वह कार्य तत्कालीन मे करने की आवश्यकता है जिसके लिए सारे नियम-कायदे को नजर-अंदाज कर टेंडर की प्रक्रिया किया जाना है।

लेकिन यहां पर ऐसा नहीं हुआ है सारे नियम कानून को ताक में रखकर लिमिटेड टेंडर किया गया है जो एक गंभीर संदेह को जन्म देता है लिमिटेड टेंडर एसईसीएल कोल परियोजना को फायदा पहुंच सके इसके लिए किया जाता है जिससे खदान के अंदर किसी भी प्रकार का कोई असुविधा न हो सके साथ ही लिमिटेड टेंडर को जो ठेकेदार पार्टिसिपेट करता है उसके पास उस कार्य को करने के लिए सभी सभी प्रकार का योग्यता कार्य को करने के लिए अत्यधिक मशीनरी एवं सभी प्रकार की सामानों की सुविधा हो सके जो कोरबा गेवरा एसईसीएल के ठेकेदारों के पास नहीं होता है लेकिन एक तालाब की सफाई के लिए लिमिटेड टेंडर कर ना यह समझ से परे है

वह भी भरे वर्षा ऋतु के समय जबकि सरकारी नियम के अनुसार 15 जून के बाद सारे शासकीय निर्माण-कार्य बंद हो जाते हैं वहीं भरे वर्षा ऋतु में वर्षा ऋतु में तालाब सफाई का कार्य करना संभव नहीं है 7. 8.2024 को यह टेंडर ठेकेदार को सिर्फ और सिर्फ लाभ पहुंचने के लिए किया गया जिससे ठेकेदारों के माध्यम से एसईसीएल के अधिकारियों को भ्रष्टाचार कर मोटा रकम कमाने का सुनहरा मौका मिल सके ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को केंद्र सरकार द्वारा उनकी चल-अंचल संपत्ति की भी जांच करने की आवश्यकता है कि उनके द्वारा भ्रष्टाचार और बेईमानी कर कितने करोड रुपए की राशि कमाई गई है और उनकी संपत्ति छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा कहां-कहां है और उनकी संपत्ति को परिवर्तन निदेशालय( ईडी ) द्वारा अटैक करने की आवश्यकता है जिससे भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर अंकुश लगाया जा सके।

लिमिटेड टेंडर के स्थान में ओपन टेंडर अगर किया जाता तो सभी ठेकेदार पार्टिसिपेट कर सकते थे ठेकेदारों के बीच कांपटीशन होता और जो रेट एवब में लिमिटेड टेंडर में दिया गया है वह बिलों में ठेकेदार को मिलता जिससे एसईसीएल कोल इंडिया कंपनी को फायदा ही होता मगर प्रबंधन के अधिकारी ऐसा नहीं करना चाहते अगर ऐसा करते हैं तो उनका मोटी कमीशन कौन देगा जो ठेकेदार बिलों में टेंडर लिया है वह तो कमीशन नहीं देगा यह खेल इस प्रकार से अधिकारियों के द्वारा खेला जाता है और लाखों करोड़ रुपए की अवैध कमिशन इन ठेकेदारों से कमाया जाता है।

एसईसीएल के  वरिष्ठ अधिकारियों को सरकार द्वारा सरकारी बंगलो, लग्जरी ऑफस, कई लग्जरी  गाड़ी, स्वास्थ्य सुविधा, बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छे स्कूल कॉलेज की सुविधा, आवास बनाने के लिए आसान किस्तों में लोन दिया जाता है  अनेको सुविधा मिलने  के बाद भी भष्टाचार करते है अपने पद और पावर का गलत इस्तेमाल करते हैं और हजारों लखों करोड़ कमाते हैं।

हमारी नजर इस पूरे मामले को लेकर पैनी निगाहें बनी हुई है आगे और भी बड़े खुलासे सीजीएम गेवरा एसके मोहंती के भ्रष्टाचार को उजागर करते रहेंगे। सिर्फ उनके द्वारा लिमिटेड टेंडर में ही घोटाला किया गया है ऐसा नहीं है जमीन अधिग्रहण मुआवजा राशि वितरण में भी लाखों करोड़ रुपए का घोटाला किया गया है समय आने पर पूरा विस्तार से इस समाचार को प्रमुखता के साथ प्रकाशित करते रहेंगे। और भ्रष्टाचार करने वाले और छत्तीसगढ़ को लूटने वाले अधिकारियों का पोल खोलते रहेंगे। जिससे शासन को लाभ हो सके।धन्यवाद