*दीपिका एसईसीएल ओपन कोल परियोजना द्वारा अब जीपीएस सिस्टम ड्रोन के माध्यम से मकान की गणना एवं भूमि अधिग्रहण करेंगे जिसमें भूमि स्वामी मकान मालिक का फोटो और वीडियो लिया जाएगा जिससे किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी होने की आशंका भविष्य में नहीं होगी और सही भूमि मालिकों,मकान मलिक को मुआवजा राशि मिल सकेगा भू माफिया को लगाम लगाने की पूरी तैयारी प्रबंधन ने कर लिया है इस बात को दीपिका एसईसीएल के महाप्रबंधक(GM) सुरेश मिश्रा के द्वारा औपचारिक चर्चा के दौरान उन्होंने बताया*
दीपिका एसईसीएल ओपन कोल परियोजना द्वारा अब जीपीएस सिस्टम के माध्यम से मकान की गणना एवं भूमि अधिग्रहण करेंगे जिसमें भूमि स्वामी मकान मालिक का फोटो और वीडियो लिया जाएगा जिससे किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी होने की आशंका भविष्य में नहीं होगी और सही भूमि मालिकों,मकान मलिक को मुआवजा राशि मिल सकेगा भू माफिया को लगाम लगाने की पूरी तैयारी प्रबंधन ने कर लिया है इस बात को दीपिका एसईसीएल के महाप्रबंधक(GM) सुरेश मिश्रा के द्वारा औपचारिक चर्चा के दौरान उन्होंने बताया।
इसके लिए हमारी पूरी राजस्व विभाग की टीम जमीनी स्तर पर काम कर रही है जैसे जिला के कलेक्टर का आदेश मिलता है उसके बाद हम सर्वे का कार्य तेज गति से करना आरंभ कर देंगे चुनाव होने के कारण समय पर जीपीएस सिस्टम का कार्य चालू नहीं हो पाया है अब चुनाव संपन्न हो चुका है दीपिका एसईसीएल ओपन कोल परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए मालगांव, हरदी बाजार, दार्राखचा का क्षेत्र सबसे पहले आता है यह एक घनी आबादी है जिसे अधिग्रहण करने में एसईसीएल को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा जब तक स्थानीय ग्रामीण अपनी सहमति प्रदान नहीं करते हैं तब तक एसईसीएल कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर सकती है वैसे भी गांव में एक दो बार समस्त गांव वाले मीटिंग कर चुके हैं जिसमें सभी गांव वाले मांग कर रहे हैं कि मुआवजा राशि, नौकरी, हरदी बाजार गांव को पुनर्वास गांव बनाकर दिया जाए गांव को विलोपित नहीं करने देंगे वैसे भी एसईसीएल की हमेशा से अंग्रेजों वाली नीति रही है फुट करो और राज करो इस नीति को यहां भी अपने का प्रयास किया जा रहा है भू विस्थापित जमीन के बदले मुआवजा राशि के अलावा अतिरिक्त राशि पुनर्वास के बदले लेकर गांव छोड़कर चले जाएं हम उनको पुनर्वास गांव बनाकर नहीं दे सकते ऐसी मानसा वर्तमान में एसईसीएल प्रबंधन की नजर आ रही है क्योंकि अभी तक इनके द्वारा कहीं भी पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई है जिससे साफ नजर आता है उनकी नियत को लेकर क्योंकि जहां पुनर्वास की व्यवस्था करनी पड़ेगी वहां सर्व सुविधायुक्त पुनर्वास गांव बना कर देना पड़ेगा उसके लिए जमीन अधिग्रहण करना पड़ेगा जिसकी कोई व्यवस्था अभी तक नजर नहीं आ रही है।
आपको बता दें पहले आमगांव भूमि अधिग्रहण में भू माफिया श्यामू जायसवाल के द्वारा 17 से 18 करोड रुपए का राशि गबन करने का आरोप उनके ऊपर लगा था जिस पर देश के सबसे विश्वसनीय और स्वतंत्र जांच एजेंसी सीबीआई द्वारा उनके निवास स्थान सहित और भी संस्थाओं में दबी दी गई थी जिसकी जांच वर्तमान में चल रहा है जिसमें सीबीआई को कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे थे या घोटाला सिर्फ श्यामू जायसवाल अकेला नहीं कर सकता सूत्र बताते हैं उनके पीछे दीपिका एसईसीएल राजस्व विभाग के अधिकारी मितेश मधुप और कटघोरा राजस्व विभाग के बाबू मनोज गोविल का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है दस्तावेज बनाने में राशि का हेरा फेरी करने में यह दोनों व्यक्ति भी सीबीआई के रडार में है इनको सीबीआई कभी भी उठा सकती है एक बार सीबीआई के रडार में आने के बाद कोई नहीं बचता वैसे भी वर्तमान में केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है अगर सीबीआई वाले गलत करेंगे तो सीबीआई वाले भी जांच के दायरे में आएंगे और उन पर भी कार्रवाई केंद्र सरकार करेगी इसलिए लोग भ्रम में ना रहे जांच होगी और भू माफिया सलाखों के पीछे उनको जाना ही होगा और उनकी पूरी संपत्ति को परिवर्तन निदेशालय(ED) अटैक करेगी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा बोलते हैं चाहे आरोपी कितने भी बड़े हो पैसे वाले हो
पावरफुल हो लेकिन गड़बड़ी करेंगे तो उन्हें कोई नहीं बचा सकता उनको जेल की हवा खानी ही पड़ेगी।
वहीं सीबीआई की लूज- पुंज कार्रवाई को लेकर क्षेत्र की जनता पूछ रही है कि कब भू माफिया श्यामू जायसवाल के ऊपर कठोर कार्रवाई होगी वही भू माफिया श्यामू जायसवाल क्षेत्र में घूम-घूम कर बोल रहा है कि सीबीआई वाले मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते मैं सबको सेट कर लिया हूं इसलिए अभी तक मेरे ऊपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई है और ना ही भविष्य में होगा जिससे श्यामू जायसवाल का हौसला बुलंद है और सीबीआई के ऊपर लोगों का विश्वास घटना जा रहा है सब्र टूटा जा रहा है लोगों की वही भू माफिया श्यामू जायसवाल के द्वारा दूसरे-दूसरे व्यक्तियों के खेत और जमीन को लेकर बड़ा-बड़ा मकान धड़ले से बनाया जा रहा है सिर्फ और सिर्फ एसईसीएल से मुआवजा लेने के लिए ऐसा गांव के स्थानी लोग बता रहे हैं जो सत्य बातें है।
इस पर एसईसीएल प्रबंधन राजस्व विभाग को संज्ञान लेने की आवश्यकता है जो सिर्फ और सिर्फ मुआवजा राशि लेने के लिए धड़ल्ले से मकान बना रहे हैं ऐसे लोगों को मौज भी नहीं मिलना चाहिए।
वर्तमान में दीपिका एसईसीएल ओपन कोल परियोजना 40 मिलियन टन का सालाना प्रोडक्शन का टारगेट कोल इंडिया के द्वारा दिया गया है जिसे पूरा करना काफी कठिन कार्य होगा क्योंकि खदान को आगे बढ़ाने के लिए इनके पास जमीन नहीं है बिना जमीन के खदान संचालन करना काफी कठिन हो रहा है जो वर्तमान की स्थिति को परिलक्षित करता है।
इस पर एसईसीएल प्रबंधन राजस्व विभाग को तत्काल संज्ञान लेने की आवश्यकता है जो सिर्फ और सिर्फ मुआवजा राशि लेने के लिए धड़ल्ले से नए-नए मकान बना रहे हैं ऐसे लोगों को मुआवजा राशि भी नहीं मिलना चाहिए।
वही खदान गांव के पीछे में पहुंच चुका है किसी प्रकार की कोई सुरक्षा व्यवस्था घेरा या सीपीटी खदान के किनारे-किनारे नाली का निर्माण कार्य भी नहीं किया गया है जिससे पशु इंसान खदान में गिर सकते हैं और कई घटनाएं ऐसी घट चुकी है खदान की दूरी गांव से लगभग 2 से 500 मीटर होनी चाहिए लेकिन यहां खदान गांव के जस्ट पीछे में है इसे स्थानीय शासन प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है सुरक्षा के मद्देनजर दीपिका खदान की हैवी ब्लास्टिंग से ग्रामीण परेशान है उससे निकलने वाली धूल और डंस्ट लोगों का जीना मुहाल कर दिया है चारों तरफ गांव में कोयल का काला डंस्ट और ओवर बटन जो मिट्टी खुदाई कर रहे हैं उसका मिट्टी का डस्ट गांव के चारों तरफ पटा हुआ है छत में आंगन में पेड़ पौधों में कुआ तालाब हैंडपंप सब सूखने लगे हैं कुछ दिनों के बाद पानी निकलना बंद हो जाएंगे इस पर पर्यावरण विभाग को शक्ति पूर्वक संज्ञान लेने की आवश्यकता है पानी छिड़काव करने की आवश्यकता है साथ ही हैवी ब्लास्टिंग जो किया जा रहा है उस पर प्रबंधन को अंकुश लगाने की आवश्यकता है जिससे इंसानी जीवन सुरक्षित जी सके।
धन्यवाद