*गेवरा ओपन कोल परियोजना से लगे हुए ग्राम पंचायत रलिया,अमगांव में वन भूमि, शासकीय राजस्व भूमि, और निजी भूमि, मैं धड़ल्ले से अवैध रूप से मकान बनाने का चल रहा है गोरख धंधा शासन प्रशासन को लेना चाहिए तत्काल संज्ञान, तो भू माफियाओं को कैसे मिलेगा मुआवजा राशि*
0गेवरा ओपन कोल परियोजना से लगे हुए ग्राम पंचायत रलिया में वन भूमि, शासकीय राजस्व भूमि, और निजी भूमि, मैं धड़ल्ले से अवैध रूप से मकान बनाने का गोरख धंधा चल रहा है
0वहीं स्थानीय नागरिक एसईसीएल प्रबंधन से मौजा राशि, पुनर्वास, मौजा राशि,की मांग कर रहे हैं आपको बता दें एसईसीएल एवं राजस्व विभाग द्वारा धारा 4 के प्रकाशन के बाद से कोई भी व्यक्ति खाली पड़ी हुई भूमि में अवैध तरीके से मकान नहीं बन सकता वही मूल भूमि में अचूक परिवर्तन नहीं कर सकते नहीं तो उसे अवैध माना जाएगा यह स्पष्ट गाइडलाइन एसईसीएल के नियम बली में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है ।
0वही एसईसीएल प्रबंधन का मूड साफ है उन्हीं भूमि स्थापितों को मौजा राशि देने के मूड में है जो सही है एवं स्थानी है और लंबे समय से वहां मकान बना कर रह रहे हैं ऐसे लोग को पुनर्वास नीति का पूरा लाभ दिया जाएगा साथी नौकरी के पात्रता रखते हैं तो उन्हें नौकरी दिया जाएगा एसईसीएल के क्राइटेरिया के हिसाब से मौजा राशि दिया जाएगा सभी परिवारों को।
0 सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक एसईसीएल गेवरा ओपन कोल परियोजना द्वारा इतनी भूमि का अधिग्रहण करने का वर्तमान में प्रक्रिया चल रहा है जो इस प्रकार से है।
(1) वन भूमि 89.181 हेक्टर
(2) शासकीय राजस्व भूमि
6.989 हेक्टर
(3) निजी भूमि 47.187 हेक्टर
0सभी भूमि की हेक्टेयर को मिलाकर टोटल भूमि 143.357 के लगभग की भूमि को एसईसीएल प्रबंधन अधिग्रहण करना चाह रही है किसके लिए वे रात दिन मेहनत करने में लगे हुए हैं। और गांव की नागरिकों से संपर्क कर रहे हैं
0जिससे गेवरा ओपन कोल परियोजना का विस्तारीकरण का कार्य सुचारू रूप से हो सके और कोयला प्रोडक्शन का कार्य तेज गति से बढ़ सके। इसमें भूमि अधिग्रहण में जो अड़ंगा उत्पन्न करना चाह रहे हैं उनके खिलाफ भविष्य में शासन स्तर पर प्रशासनिक कार्रवाई करने की भी बात चल रही है।
0लेकिन सबसे बड़ा अड़ंगा जो लोग इन तीनों भूमि पर जबरिया तरीके से अवैध रूप से आलीशान बड़े-बड़े भवन बनकर मौजा राशि कि मांग कर रहे हैं इससे लोगों को एसईसीएल प्रबंधन चिन्ह अंकित कर रही है जिससे एसईसीएल प्रबंधन को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
0आपको बता दें वन भूमि शासकीय राजस्व भूमि और निजी भूमि पर मकान बनाने से पहले अगर शासन स्तर पर परमिशन नहीं लिया गया या अपने हिसाब से बेखौफ होकर सारे नियम कानून को तक में रखकर धड़ल्ले से अवैध रूप से मकान बनाया है और मौजा राशि पाने के लिए मकान बना कर ऐसे लोगों को मौज राशि मिल पाएगी कि नहीं ऐसे मकान बनाने वालों की राशि को शासन ट्रेजरी में मौजा राशि जमा करने पर भी विचार कर रही है जब तक मामला निपटा नहीं जाता तब तक उनको मौज राशि नहीं मिल सकता। साथी शासन प्रशासन से मिलकर बुलडोजर चला कर जमीन को एसईसीएल प्रबंधन अधिग्रहण करेगी।
0 सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जितने भी लोग वन भूमि शासकीय राजस्व भूमि पर जो अवैध तरीके से बड़े-बड़े भवनों का निर्माण किया गया है ऐसे लोगों को मौज राशि का वितरण नहीं करने जा रहा है इसके लिए राजस्व विभाग के मुखिया कलेक्टर एवं एसडीएम और वन विभाग के डीएफओ से एसईसीएल गेवरा के अधिकारीगण चर्चा कर रहे है की इन लोगों को कैसे मौजा राशि का वितरण किया जाए जो जमीन शासकीय राजस्व भूमि एवं वन भूमि की है । अभी तक एसईसीएल प्रबंधन द्वारा 351.40 हेक्टेयर भूमि एवं मकान का टोटल मौज राशि 93.256.262 करोड़ की लगभग का मौजा राशि प्रबंधन द्वारा बनाया गया है जो की काफी अधिक मौजा राशि है।
0वहीं इसके लिए एसईसीएल प्रबंधन को सेटेलाइट के माध्यम से वीडियो ग्राफी एवं फोटोग्राफी करने की आवश्यकता है तब मामला क्लियर हो सकता है कि पहले कितनी वन भूमि शासकीय राजस्व भूमि एवं किसानों की भूमि खाली थी और वर्तमान में वहां क्या स्थिति है
अगर एसईसीएल प्रबंधन द्वारा अवैध रूप से मकान जो बनाकर रखे हैं उनको मौजा राशि उपलब्ध कराती है तो इसके लिए केंद्रीय जहां से एजेंसी सीबीआई और परिवर्तन निदेशालय ( एडी) से जांच करने की आवश्यकता है तभी मामला स्पष्ट हो सकता है।
0आपको बता दें 2012-13 में कलेक्टर रजत कुमार के द्वारा ग्राम पंचायत पोडी की भूमि एवं मकान को खाली करने के लिए पुलिस फोर्स का सहारा लिया गया था तब जाकर भूमि एवं मकान को खाली कराया जा सका वही स्थिति अमूमन ग्राम पंचायत रलिया में देखने को नजर आ रही है।
0 इस विषय में गेवरा एसईसीएल क्षेत्र के महा प्रबंधक (सीजीएम) एसके मोहंती से बात करने पर उन्होंने कहा जो ओरिजिनल खातेदार एवं भू स्थापित है उसे ही मौजा राशि एवं पुनर्वास, नौकरी, विधिवत तरीके से उपलब्ध कराया जाएगा जो इसकी पात्रता रखते हैं
ऐसे भू स्थापित जो मौजा राशि लेने के लिए तैयार हैं हमारा मूल उद्देश्य है भूमि अधिग्रहण कर खदान का विस्तारीकरण करना खदान को आगे की ओर बढ़ना और उससे जो कोयल निकले जाएंगे उसे राष्ट्र के हित में उसे कोयला को अलग-अलग राज्यों में पावर प्लांट में भेजना और बिजली पैदा करना मुख्य उद्देश्य है जिससे आम जनता को बिजली मिल सके यही एसईसीएल प्रबंधन की जवाबदारी है जिसे पूर्ण करने में हमारी पूरी टीम रात और दिन लगी हुई है जिससे हम निरंतर प्रयास करते रहेंगे और एक दिन सफलता जरूर मिलेगी ऐसा हमारा मानना है गलत कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा
0 रिचा सिंह कटघोरा के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीम) से बात करने पर उन्होंने बताया कि अभी वर्तमान में रलिया,आमगांव में सर्वे का काम चल रहा है सर्वे होने के बाद निर्धारण किया जाएगा अभी तक मेरे पास कोई भी फाइल मौजा राशि एवं भू अर्जन से संबंधित नहीं आया है फाइल आने के बाद परीक्षण कर सही दस्तावेज तैयार किया जाएगा उसी के आधार पर मौजा राशि बनाया जाएगा अभी वर्तमान में कितने वन भूमि है कितने शासकीय राजस्व भूमि है और कितने निजी भूमि है इसके बारे में मुझे सही ढंग से जानकारी नहीं है जब तक दस्तावेज का परीक्षण नहीं कर लूंगी तब तक सही जानकारी उपलब्ध करापना मुश्किल है