कांग्रेस के शासनकाल में हुए करोड रुपए का DMF घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है। ED ने मंगलवार को श्रीमती माया वारियर को पूछताछ के लिए बुलाया था, ED ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और 23 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया,अभी कई तत्कालीन कलेक्टर और अधिकारी,ठेकेदार, सप्लायर ED के रडार में है इनकी भी गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है ऐसा विशेष सूत्र बता रहे हैं*
DMF घोटाले में यह पहली गिरफ्तारी है। ED ने मंगलवार को माया वारियर को पूछताछ के लिए बुलाया था। इसके बाद उन्हें रिमांड में ले लिया गया
कांग्रेस के शसनकाल में कांग्रेस के नेताओं से सवाल पूछने पर गोल-मोल जवाब देकर बचते हुए नजर आते थे चाहे तत्कालीन मुखमंत्री हो या मंत्री, या प्रभारी मंत्री, सांसद, विधायक, कोई भी भ्रष्टाचार का विरोध नहीं करते थे उसी का परिणाम है जो आज सबके सामने नजर आ रहा है यह सब कांग्रेस के शासनकाल में धड़ल्ले से फल फूल रहा था चाहे कोयला चोरी का मामला हो, चाहे डीएमएफ फंड का घोटाला हो, सीएसआर फंड का घोटाला हो, चाहे रेत का घोटाला हो। शराब घोटाला, सिर्फ चारों हाथ पैर से कोरबा को लूटना है इसके अलावा और कोई विकास कार्य कोरबा में नहीं किया गया इन 5 वर्षों में जिन नेताओं के पास ढांग की मोटरसाइकिल तक नहीं थी वे लोग बड़े-बड़े फोर व्हीलर गाड़ी में घूम रहे है बड़ा-बड़ा बंगले में रह रहे हैं ऐसे लोगों के ऊपर भी परिवर्तन निदेशालय को करवाई करने की आवश्यकता है अचानक एकाएक इनकी संपत्ति में कैसे वृद्धि हो गई कहां से आया इतना धन दौला
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले, में DMF घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने माया वारियर को गिरफ्तार कर लिया है। कोरबा में माया वरियर आदिवासी विकास विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद में पदस्थ रह चुकी हैं। ED ने उन्हें कोर्ट में पेश किया और 23 अक्टूबर तक रिमांड पर लिया है।
इसकी जानकारी मिलते ही डीएमएफ में किए गए करोड़ों रुपए की भ्रष्टाचारियों का हाथ पैर फूल गया है और इधर-उधर जुगत लगाने में लगे हुए हैं आपको बता दें जिस समय कोरबा के तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के समय सबसे पावरफुल अधिकारी में से एक थी जिसको चाहे उसको कमीशन लेकर करोड़ों रुपए का काम धड़ले से बाटा करती थी यहां तक अपने भाई के नाम से साईं ट्रेडर्स फार्म बनाकर उसको भी करोड़ों रुपए का ठेका दिया गया ऐसा विशेष सूत्र बताते हैं साथ ही कुछ ग्राम पंचायत में सौर ऊर्जा से संबंधित लाइट भी लगाई गई जिसकी कीमत मार्केट में काफी कम था और प्रपोज ढाई से ₹3 लख रुपए का बनाया गया था यह लाइट अलग-अलग रेट निर्धारित किया गया था वही छात्रावास में रिपेयरिंग और मरम्मत रंग रोगन के नाम पर फर्नीचर बेड जीणोद्धार और विभिन्न प्रकार की सामग्री की खरीदी धड़ल्ले से की गई थी जिसका जरूरत है और जिसकी जरूरत नहीं थी और उसे भी अनाप-शनाप रेट में खरीदा गया था सूत्र तो यह भी बताते हैं तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू का ब्लैंक चेक अपने पास रखा करती थी कमीशन लेकर तुरंत चेक में अमाउंट भर के ठेकेदार को दे दिया करती थी इसकी भी जांच परिवर्तन निदेशालय को करने की आवश्यकता है इनकी घोटाला और भ्रष्टाचार के बारे में जितनी बातें लिखा जाए उतनी कम है वही तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल, संजीव झा, के समय भी डीएमएफ फंड और सीएसआर फंड में करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया है 2021-22 में जिला पंचायत सीईओ, डीएमएफ शाखा के अधिकारी, जनपद पंचायत के सीईओ, जो पदस्थ थे उनकी भी आने वाले कल में परिवर्तन निदेशालय पूछताछ के बाद गिरफ्तारी कर सकती है ऐसा विशेष सूत्र बता रहे हैं
अंधेर नगरी चौपट राजा,
सैया भाई कोतवाल तो अब डर काहे का
यह पुरानी कहावत अब हकीकत होने लगी है पद और पावर का जिस प्रकार से तत्कालीन कलेक्टरों और अधिकारीयों द्वारा दुरुपयोग किए हैं लाखों करोड़ रुपए का शासन प्रशासन को चुना,कथा लगाए हैं उनको सलाखों के पीछे जाना ही पड़ेगा और सरकार को उनकी चल,अचल संपत्ति को पूरी तरीके से सील कर देना चाहिए। जो उदाहरण स्वरूप एक मिसाल छत्तीसगढ़ प्रदेश में बन सके जिससे बड़े-बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों को डर और भायें बना रहना चाहिए कि हराम की कमाई का पैसा फलता नहीं है आज नहीं तो कल जेल जाना ही पड़ेगा धन्यवाद
कलाम की ताकत देशकी ताकत.
.आज का भारत. समाचार पढ़ते रहे